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झांसी। कोंच की रामलीला का इस साल 169 वां वर्ष होगा। वर्तमान में यह बुंदेलखंड की रामलीला संस्कृति की प्रमुख पहचान एवं विरासत बन चुकी है। कई लीलाएं मंच के अलावा नगर के विभिन्न स्थानों पर होती हैं।
कोंच की रामलीला को देखने के लिए विदेशी सैलानी भी खूब आते हैं। बताया जाता है कि त्रिनिदाद के पूर्व प्रधानमंत्री की भतीजी इंद्राणी रामप्रसाद भी यहां की रामलीला पर शोध कर चुकी हैं। बुंदेलखंड के कोंच में रामलीला मंचन की परंपरा काफी पुरानी है। कोंच नगर का प्रत्येक परिवार यहां की रामलीला में किसी न किसी रूप में शामिल होता है।
लीला के मंचन को लेकर तैयारियां कई सप्ताह पूर्व से शुरू हो जाती हैं। मंच के अलावा नगर के बाग-बगीचों व सरोवरों में भी मंचन होता है। इसके लिए खास दृश्य बनाए जाते हैं। धर्मादा रक्षिणी सभा ने रामलीला मंचन को लेकर तैयारियां तेज कर दी हैं। एक अक्तूबर को दिन में भगवान श्रीराम का प्रकट उत्सव मनाया जाएगा। कोविड से बचाव के कारण मंच पर इस बार चार लीलाएं होगी। इनमें धनुष यज्ञ, राम वनवास, बाली वध व लंका दहन है। यह चारों लीला रात में होंगी।
कोंच की रामलीला को देखने के लिए विदेशी भी खूब आते हैं। त्रिनिदाद के प्रधानमंत्री की भतीजी डॉ. इंद्राणी रामप्रसाद ने कोंच की रामलीला को शोध का विषय बनाया। अमेरिका एवं जर्मन के भी कई विदेशी सैलानी रामलीला मंचन को देख चुके हैं। यहां की रामलीला में नगर का प्रत्येक परिवार शामिल होता है। दर्शक भी रामलीला के पात्र बन जाते हैं।
संजय सिंघल, वरिष्ठ कलाकार
झांसी। कोंच की रामलीला का इस साल 169 वां वर्ष होगा। वर्तमान में यह बुंदेलखंड की रामलीला संस्कृति की प्रमुख पहचान एवं विरासत बन चुकी है। कई लीलाएं मंच के अलावा नगर के विभिन्न स्थानों पर होती हैं।
कोंच की रामलीला को देखने के लिए विदेशी सैलानी भी खूब आते हैं। बताया जाता है कि त्रिनिदाद के पूर्व प्रधानमंत्री की भतीजी इंद्राणी रामप्रसाद भी यहां की रामलीला पर शोध कर चुकी हैं। बुंदेलखंड के कोंच में रामलीला मंचन की परंपरा काफी पुरानी है। कोंच नगर का प्रत्येक परिवार यहां की रामलीला में किसी न किसी रूप में शामिल होता है।
लीला के मंचन को लेकर तैयारियां कई सप्ताह पूर्व से शुरू हो जाती हैं। मंच के अलावा नगर के बाग-बगीचों व सरोवरों में भी मंचन होता है। इसके लिए खास दृश्य बनाए जाते हैं। धर्मादा रक्षिणी सभा ने रामलीला मंचन को लेकर तैयारियां तेज कर दी हैं। एक अक्तूबर को दिन में भगवान श्रीराम का प्रकट उत्सव मनाया जाएगा। कोविड से बचाव के कारण मंच पर इस बार चार लीलाएं होगी। इनमें धनुष यज्ञ, राम वनवास, बाली वध व लंका दहन है। यह चारों लीला रात में होंगी।
कोंच की रामलीला को देखने के लिए विदेशी भी खूब आते हैं। त्रिनिदाद के प्रधानमंत्री की भतीजी डॉ. इंद्राणी रामप्रसाद ने कोंच की रामलीला को शोध का विषय बनाया। अमेरिका एवं जर्मन के भी कई विदेशी सैलानी रामलीला मंचन को देख चुके हैं। यहां की रामलीला में नगर का प्रत्येक परिवार शामिल होता है। दर्शक भी रामलीला के पात्र बन जाते हैं।
संजय सिंघल, वरिष्ठ कलाकार