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अयोध्या। ब्लॉक तारुन की जानाबाजार निवासिनी सबसे बुजुर्ग महिला सावित्री देवी (109) ने सोमवार रात अंतिम सांस ली। इलाके के लोग उन्हें दाई मां के नाम से पुकारते थे।
क्षेत्र की सबसे बुजुर्ग महिला होने के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्र में गर्भवती महिलाओं के प्रसूति में वर्ष 1942 से लोगों की सेवा करती आ रही है। उनके 65 वर्षीय पुत्र शिवलाल ने बताया कि उनके पिता हीरालाल के पिता भवानी बक्स कनौजिया सन 1912 में रंगून में कमाने गए थे।
जहां जहां पर वे शादी कर बस गए। वहीं उनके पुत्र हीरालाल की शादी सावित्री देवी से हुई थी। जिसके बाद भगदड़ के चलते भवानी बक्स अपने पूरे परिवार के साथ रंगून से भागकर जाना बाजार आकर बस गए।
सावित्री देवी के मायके वाले अंबेडकरनगर के नरहरपुर में आकर बस गए। उनके पिता हीरालाल की मृत्यु 1975 में हो गई। उसके बाद पूरे परिवार की देखरेख और पालन-पोषण का कार्य उनकी मां सावित्री देवी ही कर रही थी।
शिवलाल ने बताया कि वे तीन भाई हैं जिनमें रामदीन (70) की मृत्यु हो चुकी है। जबकि नंदलाल( 68) और वह 65 वर्ष के हैं। बहनों में रामप्यारी (82), प्रेमा देवी (68) की उम्र में छह वर्ष पहले ही मृत्यु हो चुकी है। प्रभावती (52) अभी मौजूद है।
19 वीं सदी में स्वास्थ्य सेवाएं न होने के बावजूद भी सावित्री देवी सन 1942 से जाना पछियाना, खपराडीह, भदार, कटौना, सीहीपुर, तारुन, ग्राम सभाओं में जाकर गर्भवती महिलाओं का सकुशल प्रसव करवाती थी।
जिला चिकित्सालय की जानी-मानी महिला चिकित्सक सीता सिंह तक उनसे सहायता लिया करती थी। जो आज मरते दम तक यह कार्य करती आ रही थी। क्षेत्र में उन्हें दाई मां के नाम से भी लोग पुकारते थे।
मिसरहिया गांव के लोग चर्चा में उन्हें मदर टेरेसा की भी पदवी दी थी। उनके अंतिम संस्कार के समय मंगलवार को क्षेत्र ही नहीं वरन आसपास के इलाके के लोग भी शामिल रहे। उनकी मृत्यु से क्षेत्र में शोक की लहर है।
अयोध्या। ब्लॉक तारुन की जानाबाजार निवासिनी सबसे बुजुर्ग महिला सावित्री देवी (109) ने सोमवार रात अंतिम सांस ली। इलाके के लोग उन्हें दाई मां के नाम से पुकारते थे।
क्षेत्र की सबसे बुजुर्ग महिला होने के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्र में गर्भवती महिलाओं के प्रसूति में वर्ष 1942 से लोगों की सेवा करती आ रही है। उनके 65 वर्षीय पुत्र शिवलाल ने बताया कि उनके पिता हीरालाल के पिता भवानी बक्स कनौजिया सन 1912 में रंगून में कमाने गए थे।
जहां जहां पर वे शादी कर बस गए। वहीं उनके पुत्र हीरालाल की शादी सावित्री देवी से हुई थी। जिसके बाद भगदड़ के चलते भवानी बक्स अपने पूरे परिवार के साथ रंगून से भागकर जाना बाजार आकर बस गए।
सावित्री देवी के मायके वाले अंबेडकरनगर के नरहरपुर में आकर बस गए। उनके पिता हीरालाल की मृत्यु 1975 में हो गई। उसके बाद पूरे परिवार की देखरेख और पालन-पोषण का कार्य उनकी मां सावित्री देवी ही कर रही थी।
शिवलाल ने बताया कि वे तीन भाई हैं जिनमें रामदीन (70) की मृत्यु हो चुकी है। जबकि नंदलाल( 68) और वह 65 वर्ष के हैं। बहनों में रामप्यारी (82), प्रेमा देवी (68) की उम्र में छह वर्ष पहले ही मृत्यु हो चुकी है। प्रभावती (52) अभी मौजूद है।
19 वीं सदी में स्वास्थ्य सेवाएं न होने के बावजूद भी सावित्री देवी सन 1942 से जाना पछियाना, खपराडीह, भदार, कटौना, सीहीपुर, तारुन, ग्राम सभाओं में जाकर गर्भवती महिलाओं का सकुशल प्रसव करवाती थी।
जिला चिकित्सालय की जानी-मानी महिला चिकित्सक सीता सिंह तक उनसे सहायता लिया करती थी। जो आज मरते दम तक यह कार्य करती आ रही थी। क्षेत्र में उन्हें दाई मां के नाम से भी लोग पुकारते थे।
मिसरहिया गांव के लोग चर्चा में उन्हें मदर टेरेसा की भी पदवी दी थी। उनके अंतिम संस्कार के समय मंगलवार को क्षेत्र ही नहीं वरन आसपास के इलाके के लोग भी शामिल रहे। उनकी मृत्यु से क्षेत्र में शोक की लहर है।