क्रिप्टोकरेंसी में जमकर हो रहे निवेश को देखते हुए अब इस पर कई चरणों में टैक्स लगाने की तैयारी हो रही है। कम से कम चार चरणों में अलग-अलग टैक्स की तैयारी से घबराकर कानपुर के 2200 से ज्यादा निवेशकों ने 71 करोड़ से ज्यादा की करेंसी बेच दी।
क्रिप्टोकरेंसी का चलन तेजी से बढ़ रहा है। खास तौर पर कोरोना काल में निवेश के नए विकल्प के रूप में जमकर पैसा लगाया जा रहा है। दिन दूनी रात चौगुनी रफ्तार से क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में सट्टेबाजी भी खूब हो रही है। तीन साल पहले रिजर्व बैंक ने बिटकॉइन, एथेरियम, डॉगकॉइन जैसी तमाम क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगा दिया था। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रतिबंध को हटाने का आदेश दिया, जिसके बाद इसमें निवेश करने वाले अकेले कानपुर में 950 से बढ़कर 10 हजार हो गए हैं। अब क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स देना होगा। ये टैक्स क्रिप्टोकरेंसी में निवेश और भुगतान पर लगेगा। वर्चुअल करेंसी में लेनदेन करने वाली कंपनियों पर नफा-नुकसान की जानकारी अनिवार्य कर दी गई है। कंपनियों से बैलेंस शीट में क्रिप्टोकरेंसी की खरीद-फरोख्त की जानकारी भी अनिवार्य कर दी गई है।
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आरबीआई सूत्रों के मुताबिक निवेश, खर्च, माइनिंग और ट्रेडिंग पर अलग-अलग टैक्स लगाया जा सकता है। माइनिंग के जरिए क्रिप्टोकरेंसी को बनाया जाता है, जिसमें फीस के रूप में करेंसी का कुछ अंश माइनर को मिलता है। इससे हुई कमाई को पूंजीगत मुनाफे की श्रेणी में रखा जाएगा। सरकारी मुद्रा के एवज में क्रिप्टोकरेंसी को कितने समय तक होल्ड रखा गया है और कितना पैसा निवेश किया गया है। फिर बेचने पर हुए मुनाफे पर अलग टैक्स लेगा। क्रिप्टोकरेंसी में ट्रेड करने से होने वाली आय को बिजनेस माना जाएगा। जीएसटी लगाया जाएगा। क्रिप्टोकरेंसी से होने वाले मुनाफे को आय़ का स्रोत माना जाएगा और इनकम टैक्स लगाया जाएगा।
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