यह भी पढ़ें – पंजाब का घमासान: आज दिल्ली में हाईकमान को रिपोर्ट देंगे चरणजीत चन्नी, हरीश रावत पकड़ेंगे चंडीगढ़ की राह
निगमीकरण से सबसे ज्यादा मायूस यहां के कर्मचारी हैं, क्योंकि 220 वर्ष पुराने संगठन को केंद्र सरकार ने समाप्त कर सात निगम बनाए हैं। कर्मचारियों के अनुसार ये कदम उनकी सुरक्षा के खिलाफ है। चंडीगढ़ को दो अन्य यूनिट के साथ देहरादून स्थित ऑप्टो इलेक्ट्रिकल लिमिटेड में रखा गया है। नियमों के अनुसार, कर्मचारियों को शुरुआत में दो साल के लिए डीम्ड डेपुटेशन पर निगमों में भेजा जाएगा। उनकी सेवा शर्तें नहीं बदली जाएंगी। दो साल बाद कर्मचारी को सरकारी सेवा में बने रहने या नए निगम में हमेशा के लिए जाने का विकल्प दिया जाएगा।
अगर वह सरकारी सेवा में जाने का निर्णय लेते हैं तो सरप्लस कर्मचारी की श्रेणी में आ जाएंगे और फिर उन्हें आवश्यकता अनुसार सेवा सौंपी जाएगी। निगम की तरफ से दिया गया पैकेज सरकारी वेतनमान से कम नहीं होगा। पेंशन और दूसरे लाभ भी जस के तस बने रहेंगे।
400 कर्मचारी करते हैं काम
चंडीगढ़ ओएफ में करीब 400 कर्मचारी काम करते हैं, जो अपने भविष्य को लेकर डरे हुए हैं। मजदूर संगठनों के एक अंदरूनी सर्वे में 99 फीसदी कर्मचारियों ने निगमीकरण का विरोध किया है। आरोप है कि निगमीकरण अंतत: निजीकरण की ओर ले जाएगा। बता दें कि अभी आयुध निर्मणी के पास करीब 350 करोड़ का ऑर्डर है।
निगमीकरण के नुकसान की कर्मचारियों को देनी थी जानकारी, बैठक पर रोक
आयुध निर्माणी के डिफेंस कर्मचारी यूनियन के महासचिव धर्मेंद्र ने कहा कि आयुध निर्माणी का आधुनिकीकरण करना चाहिए था, न कि निगमीकरण। सरकार के इस फैसले से क्या नुकसान होंगे, ये बताने के लिए शुक्रवार सुबह कर्मचारियों की एक बैठक रखी गई थी, लेकिन प्रबंधकों ने इसकी मंजूरी नहीं दी। उनका कहना है कि ट्रेड यूनियनों को अपनी बात रखने की भी इजाजत नहीं दी जा रही है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। धर्मेंद्र ने कहा कि पहले भी अध्यादेश लाकर हड़ताल पर रोक लगा दी गई। जो हड़ताल करता, उसे जेल भेजने का प्रावधान था।
टैंकों में होता है आयुध निर्माणी के केबल का इस्तेमाल
1963 में चंडीगढ़ में आयुध निर्माणी की स्थापना जापानी कंपनी मेसर्स सुमितोमो इलेक्ट्रिक इंक के सहयोग हुआ था। यहां टी-72, टी-90, बीएमपी-2, आर्म्ड एंबुलेंस, ब्रिजलेन टैंक आदि के रडार केबल का निर्माण होता है। सेना के लिए कम्युनिकेशन केबल, कैरियर क्वाड केबल, जैलीफील्ड केबल, ट्वेंटी कंडक्टर केबल का भी निर्माण होता है। सभी केबल में 99.99 प्रतिशत शुद्ध कॉपर और प्योर इंसुलेटिंग मैटीरियल का प्रयोग किया जा रहा है।
निगमीकरण से पैदा हुईं चुनौतियां
– निगमीकरण अंतत: निजीकरण की ओर ले जाएगा।
– रक्षा उत्पादों के प्रतिस्पर्द्धी बाजार के माहौल से बचने में फिलहाल सक्षम नहीं
– भारतीय सेना प्रमुख ग्राहक, मांग में अस्थिरता
– सरकारी नियंत्रण के कम होने से रोजगार कम होने का डर
– उच्च पदों को छोड़कर नीचे के पदों को आउटसोर्स करने की तैयारी
आगे की राह
– खुद कमाना होगा और खर्च निकालना होगा
– अब किसी भी ऑर्डर पर एडवांस राशि लेकर होगा काम
– खुले बाजार से प्रतिस्पर्धा में गुणवत्ता में सुधार की गुंजाइश
– बेहतर निर्णय लेने की क्षमता विकसित होगी