जयपुर. देश में हर साल लाखों कार बाइक समेत कई तरह के ऑटोमोबाइल कबाड़ (Automobile Waste) में तबदील होते जाते हैं. एक स्टडी के तहत 2017 में देश में 22 मिलियन से ज्यादा वाहनों का कबाड़ मौजूद था, जो लाखों की तादाद में बढ़ता जा रहा है. इस फिक्र के मद्ददेनजर जब 13 अगस्त को गुजरात में पीएम नरेंद्र मोदी ने भारत की व्हीकल स्क्रैपेज पॉलिसी (vehicle scrappage policy 2021) ‘वेस्ट-टू-वेल्थ मिशन’ लॉन्च किया तो उनका दिया गया नारा कचरे से कंचन को साकार करना मुश्किल सा नजर आया. लेकिन जयपुर (Jaipur) के कार आर्टिस्ट हिमांशु जांगिड़ ने पीएम के सपने को साकार कर दिखाया है. जयपुर का सस्टेन बाय कार्टिस्ट इस दिशा में मेहनत कर नतीजे लाने में जुट गया है.
हिमांशु ने बताया कि वे जलवायु परिवर्तन और सर्कुलर इकोनॉमी के उपयोग के बारे में जागरूकता लाने और बेकार हो चुकी कारों के पुर्जों के साथ गोल्ड फर्नीचर रेंज बनाने का कार्य कर रहे हैं. कार्टिस्ट के ज़रिए वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से 13 अगस्त को गुजरात इन्वेस्टर समिट में लॉन्च की गई भारत की व्हीकल स्क्रैपेज पॉलिसी ‘वेस्ट-टू-वेल्थ मिशन’ —’कचरे से कंचन’ के सपनों को साकार कर रहे है. हिमांशु कार रिस्टोर का काम करते रहे है. इसका उन्हें खानदानी अनुभव रहा है. अब तक वे कई विंटेज कारों को रिस्टोर कर चुके हैं. इस मिशन के तहत हिमांशु का मानना है कि यह हर किसी की जिम्मेदारी है कि वे ऑटोमोाबइल वेस्ट जैसे खतरों दुनिया को बचाने के लिए आगे बढ़े और स्थायी तरीकों के साथ नये आईडिया से जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को रोकने में अपना योगदान दें.
ऑटोमोटिव वेस्ट से बनाया फर्नीचर
जयपुर के सस्टेन बाय कार्टिस्ट की ओर से कबाड़ कारों के पुर्ज़ों और ऑटोमोटिव वेस्ट का प्रयोग कर डिज़ाइनर गोल्ड फर्नीचर रेंज तैयार की जा रही है. वेस्ट ऑटो पार्ट्स से फर्नीचर बनाकर इस पर गोल्ड की बारीक कारीगरी की जा रही है. पुराने ऑटोमोबाइल को हाथों से तैयार कर इन्हें नया रंग रूप दिया जा रहा है जो उपयोगी भी है और कबाड़ भी नहीं हैं. इसके पीछे एक सस्टेनेबल ऑटो-आर्ट इकोसिस्टम बनाने का विचार है. फर्नीचर से ना सिर्फ कवाड़ का सही जगह उपयोग किया गया है बल्की जयपुर के आर्टिजंस और हैंडक्राफ्ट से जुड़े लोगों को भी इससे जोड़ा गया है.
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कार्टिस्ट के संस्थापक हिमांशु जांगिड़ बताते है कि सस्टेनेबल फर्नीचर तैयार करने तथा रीसाइक्लिंग व स्क्रैपिंग की लागत को कम करने के लिए हम ऑटोमोबाइल पार्ट्स का उपयोग कर उन्हें मुख्यधारा में लाते है. इससे धरती पर वेस्ट कम होता है, कार्बन फुटप्रिंट में कमी आती है और अपने अनमोल संसाधनों का संरक्षण होता है. इसके पीछे ऑटोमोबाइल उद्योग को तेजी से सर्कुलर इकोनॉमी की ओर तेजी से ले जाने का विचार है. उनका कहना है कि जब तक हम सब इस दुनिया में बदलाव का हिस्सा नहीं बनेंगे, तब तक जलवायु संकट का मुकाबला नहीं कर सकते. यह हमारे दिमाग को गैरजिम्मेदाराना संस्कृति और नासमझ उपभोक्तावाद से हटाने का समय है. सस्टेन बाय कार्टिस्ट में हम ऑटोमोटिव पार्ट्स को रिसायक्लिंग व अपसायक्लिंग को बढ़ावा देकर धरती के संतुलन को बहाल कर सकते है. साथ ही इन पार्ट्स को हैंडीक्राफ्टेड फर्नीचर की प्रक्रिया में शामिल करके हमारी कला व संस्कृति को भी बहाल कर रहे हैं. इसमें आर्ट या फर्नीचर से ज्यादा कबाड़ का सदउपयोग हो मायने रखता है.
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