mbbs india vs abroad: Career After 12th: कहां से MBBS करना रहेगा बेहतर? जानें भारत या विदेश में से क्या है सही ऑप्शन – difference between mbbs in india and abroad

MBBS Is Best In India Or Abroad: अगर हम MBBS कोर्स की बात करें तो आज भी छात्र विदेश की जगह देश को प्राथमिकता देते हैं। MBBS के लिए छात्रों की कोशिश सरकारी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश की होती है। यही कारण है कि प्रतिवर्ष मेडिकल कॉलेजों की सीमित 84,000 MBBS सीटों के लिए करीब 14 लाख छात्र नीट परीक्षा में शामिल होते हैं। इस गला काट कंपटीशन के कारण यहां मेडिकल छात्रों के लिए प्रवेश लेना कठिन हो जाता है और उस स्थिति में, छात्र विदेश में MBBS कोर्स करने का ऑप्शन चुनते हैं। जो मेडिकल छात्रों के लिए एक बेहतर विकल्प माना जाता है।

डॉक्‍टर बनने के अपने सपनों को न टूटने दें
कोरोना महामारी के दौरान से डॉक्‍टरों की मांग काफी बढ़ गई है। जिसके कारण एकबार फिर से छात्र डॉक्‍टर बनने का सपना देखने लगे हैं। हालांकि इसमें सबसे बड़ी बाधा है भारत के निजी मेडिकल कॉलेजों की महंगी ट्यूशन फीस, जिसके कारण कई छात्रों का सपना चकनाचूर हो जाता है। अगर छात्र चाहें तो अपने इन सपनों को विदेश में पढ़ाई कर पूरा कर सकते हैं, क्‍योंकि विदेश में 12 लाख से 25 लाख रुपये के बीच MBBS पूरा किया जा सकता है, जिसमें छात्रावास और मेस की फीस भी शामिल होती है।
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विदेश से इसलिए करें MBBS

  1. सस्ती फीस – भारत में MBBS की फीस 40 लाख रुपये से शुरू होकर 50 लाख रुपये (निजी मेडिकल कॉलेज) तक है। वहीं इसकी तुलना में यूक्रेन जैसे विकसित देशों में MBBS की फीस 14 से 25 लाख रुपये के बीच है।
  2. वर्ल्ड क्लास इंफ्रास्ट्रक्चर- भारत में छात्रों को प्रैक्टिकल ट्रेनिंग देने के लिए सभी कॉलेजों के अपने अस्पताल नहीं हैं। दूसरी ओर, विदेश के कॉलेजों में छात्रों को अनुभवी डॉक्‍टर द्वारा प्रैक्टिकल ट्रेनिंग मिलती है।
  3. टॉप रैंकिंग वाले मेडिकल कॉलेज- भारत के अधिकांश कॉलेजों की अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग सूची में निम्न रैंकिंग है। दूसरी ओर, रूसी, यूक्रेन जैसे देशों के कई चिकित्सा विश्वविद्यालय दुनिया के शीर्ष 100 की लिस्‍ट में शामिल हैं।
  4. विदेश में इंटर्नशिप जरूरी- भारत में छात्र सिर्फ 5.5 साल में MBBS की पढ़ाई पूरी कर सकते हैं। जिसमें प्रशिक्षण या इंटर्नशिप अवधि (12 महीने) शामिल है। वहीं रूस, चीन या यूक्रेन जैसे देश इंटर्नशिप सहित 6 साल में कोर्स पूरा करवाते हैं।

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इस तरह पाएं विदेश के मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश
भारत के मेडिकल कॉलेज में प्रवेश पाने की बात आती है, तो यह सब NEET परीक्षा के लिए योग्यता पर निर्भर करता है। उसके बाद, नीट परीक्षा में आपकी कितनी अच्छी रैंक इसकी जांच होती है। अंत में, काउंसलिंग और फिर बाकी प्रवेश प्रक्रिया। कॉलेज अपनी कट-ऑफ सूची निर्धारित करते हैं और केवल उन्हीं छात्रों का चयन करते हैं जो उन मानदंडों में आते हैं। वहीं दूसरी ओर, विदेश में MCI/NMC द्वारा अनुमोदित चिकित्सा विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए नीट का रैंक जरूरी नहीं है। भारत के बाहर मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए कोई पूर्वनिर्धारित कट-ऑफ नहीं होगी। उम्मीदवारों को बस अपनी पात्रता साबित करने की जरूरत है।

एक मिथक है कि हर छात्र ने सुना होगा कि विदेश में MBBS के लिए वही छात्र आवेदन करते हैं जो पढ़ाई में कमजोर होते हैं। यह पूरी तरह से निराधार है। वहीं यूक्रेन, रूस, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान, बांग्लादेश और जॉर्जिया जैसे देशों के कॉलेजों में प्रवेश पाने के लिए कोई प्रवेश परीक्षा आयोजित नहीं की जाती है।

विदेश में MBBS कोर्स के बाद करियर
अधिकांश लोकप्रिय विश्वविद्यालयों को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग और उस देश की स्थानीय सरकार द्वारा अनुमोदित किया जाता है। मेडिकल डिग्री भारत और अन्य देशों में भी मान्य है। भारत में अभ्यास करने के लिए छात्रों को विदेश में एमबीबीएस के बाद एफएमजीई परीक्षा पास करनी होती है। यह परीक्षा भारत में मेडिकल की प्रैक्टिस करने के लिए जरूरी है। दुनिया में ऐसे कई देश हैं जो भारतीय छात्रों के लिए विदेश में MBBS की पढ़ाई के लिए आदर्श माने जाते हैं।