रजत शर्मा ने मायावती को टोकते हुए कहा था कि आप जब भाषण देने जाती थीं तब इस तरह के नारे लगते थे। इस पर मायावती थोड़ा नाराज हो गई थीं।
उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां बढ़ गई हैं। सत्तारूढ़ भाजपा से लेकर बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी जैसे दल जातीय समीकरण साधने में जुटे हैं। खासकर बसपा की निगाहें सवर्ण वोट बैंक पर हैं। सवर्ण मतदाताओं को लुभाने के लिए पार्टी तमाम जिलों में प्रबुद्ध सम्मेलन आयोजित कर रही है। बीते दिनों ऐसे ही एक सम्मेलन में जब मायावती के हाथ में त्रिशूल दिखा और जय श्रीराम के नारे लगे तो यह चर्चा का विषय बन गया।
क्यों हुआ आश्चर्य? एक दौर ऐसा था जब बहुजन समाज की राजनीति करने वालीं मायावती की रैली और सभाओं में ‘तिलक, तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार’ जैसे नारे लगा करते थे। बाद में जब बसपा को लगा कि सत्ता में आने के लिए सवर्ण मतदाताओं, खासकर ब्राम्हण वोटर्स को साथ लाना जरूरी है तब ‘हाथी नहीं गणेश हैं, ब्रह्मा-विष्णु महेश हैं’ जैसे नारे लगने लगे।
वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा के चर्चित कार्यक्रम ‘आप की अदालत’ में कुछ साल पहले जब मायावती आई थीं तो उनसे इसी मुद्दे को लेकर सवाल किया गया था। रजत शर्मा ने मायावती से पूछा था कि आप पर जातिवादी होने का आरोप इसलिए लगता है कि कभी बसपा का नारा हुआ करता था ‘तिलक तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार’…। बसपा सुप्रीमो मायावती ने इस पर सफाई देते हुए कहा था कि ‘मेरी आवाज में या मान्यवर कांशीराम की आवाज में पूरे भारत में कोई यह बता दें कि यह मैंने कहा है तो मैं राजनीति से सन्यास ले लूंगी।
नाराज हो गई थीं मायावती: रजत शर्मा उन्हें टोकते हुए कहते हैं कि आप जब भाषण देने जाती थीं तब इस तरह के नारे लगते थे। इस पर मायावती थोड़ा नाराज हो जाती हैं और कहती हैं ‘आपने कभी सुना है? आपके पास कोई रिकॉर्ड है मेरी आवाज का? कोई टेप है क्या? है तो बताइए…।
मायावती ने तंज कसते हुए आगे कहा था कि ‘आप जैसे लोग ही रात में जाकर दीवारों पर ऐसे नारे लिख आते होंगे।’ मायावती ने इसी कार्यक्रम में आगे कहा था कि हम तो सभी के साथ रिश्ते बनाना चाहते हैं, लेकिन इसके साथ हमें यह देखना होगा कि बहुजन समाज का हित किधर है।