Many Youth Of Chandigarh And Mohali Use Social Media To Promote Their Art – सोशल मीडिया के सितारे: किसी ने ई कंपनी बनाई तो किसी ने अपनी कला दुनिया तक पहुंचाई

सार

युवाओं का कहना है कि सोशल मीडिया के जरिए उन्हें काफी काम मिला है। रील का जमाना है, लोग उसी के जरिए सोशल मीडिया पर आपका काम देख लेते हैं।

सोशल मीडिया के सितारे।
– फोटो : अमर उजाला

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वर्तमान में सोशल मीडिया एक सशक्त माध्यम बन चुका है। युवाओं ने इसे हथियार बनाकर अपने शौक और कला को एक नई दिशा दी है। इसी को युवाओं ने रोजगार का माध्यम भी बना लिया। सोशल मीडिया में एक अलग पहचान रखने वाले युवाओं ने अपने आप को साबित करके दिखाया है। इनका कहना है कि कुछ करने का जज्बा हो तो कमाई का जरिया मिल ही जाता है। इसमें सबसे ज्यादा मदद सोशल मीडिया करता है। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ युवाओं की कहानी, उन्हीं की जुबानी….

सोशल मीडिया से कला को बनाया ब्रांड
सेक्टर 15 निवासी मानिक और मनीषा ने बताया कि पंजाब विश्वविद्यालय के स्टूडेंट सेंटर में हम एक टेबल पर हस्तकला से निर्मित सामान का छोटा सा स्टाल लगाते थे। सोशल मीडिया के जरिए अपनी कला को हजारों लोगों तक पहुंचाया। रद्दी अखबार, कागज और डेनिम से विभिन्न तरह के झुमके, ज्वैलरी, कॉस्टर्स, चाबी के छल्ले, पेन स्टैंड, डायरी, फोटो फ्रेम जैसे सामान बनाते हैं। इसे इंस्टाग्राम और व्हाट्सअप के जरिए लोगों तक पहुंचाया। इसके बाद हमें ऑनलाइन ऑर्डर आने लगे। अब अच्छा खासा रिस्पांस हमें मिल रहा है। 

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मानिक ने बताया कि हमने लगभग चार साल पहले हस्तनिर्मित पर्यावरण अनुकूल इस प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया। ऑफलाइन मेले में स्टॉल लगाने के साथ सोशल मीडिया के जरिए अपनी ब्रांड कलाकारी को लोगों तक पहुंचाया। कुछ समय पहले देहरादून के एक कैफे के कार्यक्रम में आमंत्रण मिला। उन्होंने हस्तनिर्मित वस्तुओं के साथ रद्दी पेपर से ही इंटीरियर डिजाइन का काम भी शुरू किया है। रद्दी अखबार से कोई भी कलाकृति बनाने के बाद इसकी वाटर प्रूफिंग करते हैं, जिससे इसकी आयु को बढ़ाया जा सके।

सोशल मीडिया बना जरिया, आज रावी जरूरतमंदों की बनीं मसीहा
मोहाली के सेक्टर 88 निवासी रावी पेशे से तो पंजाबी इंडस्ट्री में काम करती हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर युवाओं को तनाव और अवसाद से बचाने के लिए उनकी काउंसलिंग भी करती हैं। इसके साथ ही लंबे समय से जरूरतमंद लोगों की मदद कर रही हैं। रावी ने बताया कि सोशल मीडिया के माध्यम से मैंने लोगों से मदद मांगी। कुछ फंड इकट्ठा होने के बाद अब जरूरतमंदों की मदद कर रही हूं। मेरी अपील पर कई लोगों ने मोहाली की झुग्गी झोपड़ी वाले इलाकों में काफी मदद की। सोशल मीडिया पर रील का जमाना है, इसके जरिए युवाओं को काफी काम मिल रहा है। वहीं अगर कोई दूसरों की मदद करने के लिए भी काम करना चाहता है तो वर्तमान में सोशल मीडिया से अच्छा कोई प्लेटफॉर्म नहीं है।

सोशल मीडिया से मिले फिल्म इंडस्ट्री के प्रोजेक्ट
सेक्टर 19 निवासी कलाकार वरुण ने बताया कि सोशल मीडिया के जरिए मुझे काफी काम मिला है। रील का जमाना है, लोग उसी के जरिए सोशल मीडिया पर आपका काम देख लेते हैं। मैंने जुबिन नौटियाल के साथ गाने में एक्टिंग की थी। उसकी रील के जरिए ही मुझे पंजाबी गानों, गजल के साथ शार्ट फ़िल्म में एक्टिंग के ऑफर मिले। एक्टर होने के नाते मुझे लगता है कि सोशल मीडिया पर आपको अपने काम की गुणवत्ता भी बनाकर रखनी चाहिए। फॉलोअर्स बढ़ाने के लिए कुछ भी पोस्ट करो, वो भी थोड़ा गलत है। काम में आपकी कला की झलक दिखना काफी महत्वपूर्ण है। क्योंकि इसके बिना आप लंबे समय तक नहीं टिक पाते हो। फिल्म इंडस्ट्री में आजकल सोशल मीडिया प्रोफाइल भी देखते हैं कि आप कितने सक्रिय हैं। बहुत बार एक्टर के पिछले काम का भी सोशल मीडिया से ही पता लग जाता है।

सोशल मीडिया ने मुझे बनाया सुखपाल पेंसिल आर्ट
खरड़ निवासी सुखपाल लोंगोवाल ने बताया कि बीए करने के बाद मैंने पेंसिल आर्ट को ही रोजगार का माध्यम बनाने का फैसला लिया। मैं 2016 से अपना काम सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहा हूं। आर्टवर्क को सुखपाल पेंसिल आर्ट ब्रांड नाम दिया। धीरे-धीरे कला में निखार आने के साथ सोशल मीडिया के जरिए प्रोजेक्ट भी मिलने लगे हैं। इसलिए अभी तक ऑफलाइन कोई स्टूडियो शुरू करने का फैसला नहीं ले पाया हूं, क्योंकि ऑनलाइन काम को अच्छी पहुंच मिल रही है। पिछले कुछ समय से मैंने टैटू कला भी सीखी है। मैं पंजाबी इंडस्ट्री में भी कई कलाकारों के टैटू बना चुका हूं। ट्राइसिटी और पंजाब के अलावा कनाडा, ऑस्ट्रेलिया से भी पेंसिल वर्क में पोर्ट्रेट बनाने के ऑफर मिलते हैं। बाहर के प्रोजेक्ट का मूल्य भी अच्छा मिलता है। 

जीरकपुर के बलटाना निवासी मुदित ने पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला से बीटेक इन इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन की डिग्री की है। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने सोचा था कि अच्छी नौकरी कर अपना कॅरिअर बनाएंगे, लेकिन कोरोना ने ग्रहण लगा दिया। समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें। फेसबुक पर अचानक विज्ञापन देखते ही एक आइडिया मिला, जिसने जिंदगी बदल दी। उन्होंने ग्रॉसरी से जुड़ा सामान मुहैया करवाने के लिए अपनी ई कंपनी बनाई। इससे अब वह लाखों रुपये महीने कमाई कर रहे हैं। 

मुदित ने बताया कि मैंने लोगों को घर पर ही ग्रॉसरी व ई कॉस्मेटिक सामान मुहैया करवाने के लिए ई कंपनी तो बना ली, लेकिन काम शुरू करना चुनौती से कम नहीं था। पहले से ही कई नामी चेन इलाके में लोगों को सामान मुहैया करवा रही थीं। मैंने फेसबुक, यू-ट्यूब और इंस्ट्राग्राम सोशल साइट्स पर अपना प्रचार शुरू किया। कई तरह के ऑफर चलाए, जो लोगों को रास आने लगे। पहले छोटी रकम के ऑर्डर मिले, जिन्हें मैंने खुद उनके घर तक पहुंचाया। लोगों ने मुझ पर तंज भी कसे लेकिन मैंने ध्यान नहीं दिया। एक जगह सामान देने गया तो वह जानकार निकला। बोला-बीटेक करने के बाद यह क्या काम कर रहे हो। मैंने जवाब दिया-काम छोटा या बड़ा नहीं होता। 

चंडीगढ़ से सामान खरीदकर मुहैया करवाते थे लोग
मुदित ने बताया कि कंपनी बनाने के बाद लोगों को अच्छी क्वालिटी का सामान तय समय में मुहैया करवाने की चुनौती थी। क्योंकि लॉकडाउन में अधिकतर जगह बंद था। ऐसे में मैंने चंडीगढ़ की नामी दुकानों से संपर्क किया। साथ ही उनसे बढ़िया सामान खरीदना शुरू किया। ऑर्डर मिलने बाद मैं तय समय में सामान लोगों के घर पहुंचाता था। आज मैं अपने काम से खुश हूं और अच्छी खासी कमाई भी कर रहा हूं।
 
मैंने इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग की है। बचपन से ही तरह तरह का खाना खाने का शौक रहा है। मेरे परिवार और दोस्तों में कभी किसी को कुछ खाना होता है तो वे अक्सर मुझसे सलाह लेते हैं। ट्राइसिटी छोटी बड़ी हर जगह का स्वाद मैंने चखा है। 2017 में इंस्ट्रग्राम से मैंने फूड ब्लॉग की शुरुआत की थी। 11 हजार से भी अधिक लोग फॉलो कर रहे हैं। शुरुआत में सिर्फ आम लोगों को सही-गलत खाने के बारे में जानकारी देने के मकसद से सोशल मीडिया पेज बनाया था। चार सालों से मैं सोशल मीडिया के जरिए सही स्वाद और उस जगह की असलियत पर अपनी वीडियो बना रहा हूं। मुझे अक्सर रेस्टोरेंट्स और फूड कोर्ट से फोन आते हैं, जिनमें वे मुझे उनके बनाए खाने का वीडियो शेयर करने के लिए कहते हैं, लेकिन मैं ग्राहक के तौर पर ही अपना ब्लॉग बनाता हूं। ताकि लोगों का समय और पैसे बर्बाद न हों। इस समय यूट्यूब पर भी मेरे सब्सक्राइबर बढ़ रहे हैं। -जतिन उनियाल, फूड ब्लॉगर 

मेकअप टिप्स से लेकर हर चीज करती हूं शेयर
वंदना खुराना मोहाली में इवेंट एंकर के तौर पर काम करती हैं। वंदना को मेकअप प्रोडक्ट, फैशन, और घूमने का बहुत शौक है। इन सब से जुड़ी जानकारी को वह अपने पर्सनल ब्लॉग में लिखती हैं। वंदना बताती हैं कि इस समय मुझे इंस्ट्रग्राम पर 17 हजार से भी अधिक लोग फॉलो करते हैं। लॉकडाउन में ज्यादा इवेंट नहीं हुए, तो मैंने मेकअप और फैशन को लेकर छोटी छोटी बातें शेयर करनी शुरू कीं। इसके बाद मुझे सोशल मीडिया पर काफी सपोर्ट मिला। इंस्टाग्राम पर पेज मैंने पैसे कमाने के लिए नहीं बनाया है क्योंकि मुझे मेकअप, फैशन, और ट्रैवलिंग जैसी चीजें पसंद हैं, इसलिए अपना अनुभव इंस्टाग्राम और स्नेप चेट पर शेयर करती हूं, जिसे मैं आगे भी जारी रखने वाली हूं।  
 

पेशे से इलेक्ट्रिक इंजीनियर स्वर्णा को घूमने का बेहद शौक है। इसी शौक ने उन्हें फूड ब्लॉगर बना दिया। सोशल मीडिया पर उनके करीब साढ़े सात हजार फॉलोअर्स हैं। मूल रूप से उत्तराखंड निवासी स्वर्णा पंचकूला सेक्टर 7 में रहती हैं और दिल्ली की कंपनी में बतौर इलेक्ट्रिकल इंजीनियर सेवाएं दे रही हैं। स्वर्णा आज एक कामयाब फूड ब्लॉगर बनकर दिल्ली, उत्तराखंड सहित ट्राइसिटी के अलग अलग जायके लोगों तक पहुंचा रही हैं। 

स्वर्णा ने बताया कि खाने का शौक शुरू से ही था। नौकरी में भी वह फील्ड में ही होती हैं। जहां प्रोजेक्ट होता है, वहां अलग अलग तरह के पकवानों का स्वाद चखकर लोगों तक पहुंचाती हूं। शुरुआत 2019 में दिल्ली से हुई। एक रेस्टोरेंट में गई, जिसका खाना बेहद अच्छा था। उसे यूं ही पोस्ट कर दिया। लोगों ने अच्छा रिस्पांस दिया तो साहस बढ़ा। कुछ दिन बाद चंडीगढ़ आ गई। यहां अलग अलग रेस्टोरेंट या स्ट्रीट फूड पर जो अच्छा लगा, अपने इंस्टाग्राम पर पोस्ट कर दिया। धीरे धीरे लोग जानने लगे और रेस्टोरेंट व होटल वाले भी मुझे बुलाने लगे।    

ब्लॉगिंग क्या है?
वर्तमान समय में ब्लॉगिंग का काफी चलन है। इसमें नाम के साथ पैसे भी कमाए जा सकते हैं। अगर परिभाषा की बात करें तो ऐसा माना जाता है कि पहले ब्लॉग नहीं बल्कि ‘‘वेब लॉग’’ कहा जाता था और इसी से ब्लॉग शब्द निकला था। कुल मिलाकर ब्लॉगिंग वह है, जो कंटेंट व्यक्तिगत तौर पर लिखा जाता है, जैसे ट्रेवल ब्लॉगर, फैशन ब्लॉगर या लाइफस्टाइल ब्लॉगर इत्यादि। आज काफी युवा इस लाइन में जाकर अपना कॅरिअर बेहतर बनाने में लगे हुए हैं। 

विस्तार

वर्तमान में सोशल मीडिया एक सशक्त माध्यम बन चुका है। युवाओं ने इसे हथियार बनाकर अपने शौक और कला को एक नई दिशा दी है। इसी को युवाओं ने रोजगार का माध्यम भी बना लिया। सोशल मीडिया में एक अलग पहचान रखने वाले युवाओं ने अपने आप को साबित करके दिखाया है। इनका कहना है कि कुछ करने का जज्बा हो तो कमाई का जरिया मिल ही जाता है। इसमें सबसे ज्यादा मदद सोशल मीडिया करता है। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ युवाओं की कहानी, उन्हीं की जुबानी….

सोशल मीडिया से कला को बनाया ब्रांड

सेक्टर 15 निवासी मानिक और मनीषा ने बताया कि पंजाब विश्वविद्यालय के स्टूडेंट सेंटर में हम एक टेबल पर हस्तकला से निर्मित सामान का छोटा सा स्टाल लगाते थे। सोशल मीडिया के जरिए अपनी कला को हजारों लोगों तक पहुंचाया। रद्दी अखबार, कागज और डेनिम से विभिन्न तरह के झुमके, ज्वैलरी, कॉस्टर्स, चाबी के छल्ले, पेन स्टैंड, डायरी, फोटो फ्रेम जैसे सामान बनाते हैं। इसे इंस्टाग्राम और व्हाट्सअप के जरिए लोगों तक पहुंचाया। इसके बाद हमें ऑनलाइन ऑर्डर आने लगे। अब अच्छा खासा रिस्पांस हमें मिल रहा है। 

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मानिक ने बताया कि हमने लगभग चार साल पहले हस्तनिर्मित पर्यावरण अनुकूल इस प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया। ऑफलाइन मेले में स्टॉल लगाने के साथ सोशल मीडिया के जरिए अपनी ब्रांड कलाकारी को लोगों तक पहुंचाया। कुछ समय पहले देहरादून के एक कैफे के कार्यक्रम में आमंत्रण मिला। उन्होंने हस्तनिर्मित वस्तुओं के साथ रद्दी पेपर से ही इंटीरियर डिजाइन का काम भी शुरू किया है। रद्दी अखबार से कोई भी कलाकृति बनाने के बाद इसकी वाटर प्रूफिंग करते हैं, जिससे इसकी आयु को बढ़ाया जा सके।

सोशल मीडिया बना जरिया, आज रावी जरूरतमंदों की बनीं मसीहा

मोहाली के सेक्टर 88 निवासी रावी पेशे से तो पंजाबी इंडस्ट्री में काम करती हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर युवाओं को तनाव और अवसाद से बचाने के लिए उनकी काउंसलिंग भी करती हैं। इसके साथ ही लंबे समय से जरूरतमंद लोगों की मदद कर रही हैं। रावी ने बताया कि सोशल मीडिया के माध्यम से मैंने लोगों से मदद मांगी। कुछ फंड इकट्ठा होने के बाद अब जरूरतमंदों की मदद कर रही हूं। मेरी अपील पर कई लोगों ने मोहाली की झुग्गी झोपड़ी वाले इलाकों में काफी मदद की। सोशल मीडिया पर रील का जमाना है, इसके जरिए युवाओं को काफी काम मिल रहा है। वहीं अगर कोई दूसरों की मदद करने के लिए भी काम करना चाहता है तो वर्तमान में सोशल मीडिया से अच्छा कोई प्लेटफॉर्म नहीं है।

सोशल मीडिया से मिले फिल्म इंडस्ट्री के प्रोजेक्ट

सेक्टर 19 निवासी कलाकार वरुण ने बताया कि सोशल मीडिया के जरिए मुझे काफी काम मिला है। रील का जमाना है, लोग उसी के जरिए सोशल मीडिया पर आपका काम देख लेते हैं। मैंने जुबिन नौटियाल के साथ गाने में एक्टिंग की थी। उसकी रील के जरिए ही मुझे पंजाबी गानों, गजल के साथ शार्ट फ़िल्म में एक्टिंग के ऑफर मिले। एक्टर होने के नाते मुझे लगता है कि सोशल मीडिया पर आपको अपने काम की गुणवत्ता भी बनाकर रखनी चाहिए। फॉलोअर्स बढ़ाने के लिए कुछ भी पोस्ट करो, वो भी थोड़ा गलत है। काम में आपकी कला की झलक दिखना काफी महत्वपूर्ण है। क्योंकि इसके बिना आप लंबे समय तक नहीं टिक पाते हो। फिल्म इंडस्ट्री में आजकल सोशल मीडिया प्रोफाइल भी देखते हैं कि आप कितने सक्रिय हैं। बहुत बार एक्टर के पिछले काम का भी सोशल मीडिया से ही पता लग जाता है।

सोशल मीडिया ने मुझे बनाया सुखपाल पेंसिल आर्ट

खरड़ निवासी सुखपाल लोंगोवाल ने बताया कि बीए करने के बाद मैंने पेंसिल आर्ट को ही रोजगार का माध्यम बनाने का फैसला लिया। मैं 2016 से अपना काम सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहा हूं। आर्टवर्क को सुखपाल पेंसिल आर्ट ब्रांड नाम दिया। धीरे-धीरे कला में निखार आने के साथ सोशल मीडिया के जरिए प्रोजेक्ट भी मिलने लगे हैं। इसलिए अभी तक ऑफलाइन कोई स्टूडियो शुरू करने का फैसला नहीं ले पाया हूं, क्योंकि ऑनलाइन काम को अच्छी पहुंच मिल रही है। पिछले कुछ समय से मैंने टैटू कला भी सीखी है। मैं पंजाबी इंडस्ट्री में भी कई कलाकारों के टैटू बना चुका हूं। ट्राइसिटी और पंजाब के अलावा कनाडा, ऑस्ट्रेलिया से भी पेंसिल वर्क में पोर्ट्रेट बनाने के ऑफर मिलते हैं। बाहर के प्रोजेक्ट का मूल्य भी अच्छा मिलता है। 

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