सेमीकंडक्टर यानी चिप की कमी को दूर करने के लिए भारत और ताइवान के बीच एक मेगा डील पर बातचीत चल रही है। इस समझौते के तहत भारत में ही चिप का उत्पादन किया जाएगा।
India Taiwan Chip Manufacturing Deal : Semiconductor (सेमीकंडक्टर) के वैश्विक संकट से इस समय पूरी दुनिया का उद्योग जगत प्रभावित है। सेमीकंडक्टर की कमी की मार ऑटोमोबाइल और गैजेट्स इंडस्ट्री पर पड़ी है। इसकी वजह से वाहन निर्माता कंपनियों को उत्पादन में कटौती करनी पड़ी है। दुनिया भर में ऑटोमोबाइल सेक्टर के साथ ही इसका असर मोबाइल फोन और अन्य टेक्नोलॉजी से जुड़े उत्पादों पर भी पड़ा है। लेकिन अब यह समस्या जल्द ही दूर होने वाली है। सेमीकंडक्टर यानी चिप की कमी को दूर करने के लिए भारत और ताइवान के बीच एक मेगा डील पर बातचीत चल रही है। इस समझौते के तहत भारत में ही चिप का उत्पादन किया जाएगा। इससे कंपोनेंट पर लगने वाले टैरिफ में भी कटौती होगी।
भारत में लगेगा प्लांट
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत और ताइवान के अधिकारी कई हफ्तों से सेमीकंडक्टर बनाने वाले प्लांट के समझौते को आखिरी रूप देने में लगे हैं। इस डील के तहत 7.5 अरब डॉलर (करीब 55.36 हजार करोड़ रुपये) की लागत से भारत में सेमिकंडक्टर उत्पादन के लिए एक प्लांट लगाया जाएगा। इसमें 5G डिवाइस से लेकर इलेक्ट्रिक कार तक के कंपोनेंट शामिल होंगे।
सेमीकंडक्टर्स या चिप बाजार में ताइवान की बड़ी हिस्सेदारी है। जानकारी के अनुसार 80 फीसदी चिप दक्षिण कोरिया और ताइवान में बनते हैं। ऐसे में भारत और ताइवान के बीच यह डील हो जाती है तो इसका भारत की अर्थव्यवस्था पर काफी सकारात्मक प्रभाव होगा।
सेमीकंडक्टर्स या चिप की खास बात यह है कि अपने गुणों की वजह से यह कंडक्टर और इंसुलेटर के बीच कहीं होते हैं। आमतौर पर सिलिकॉन से बने इन चिप का इस्तेमाल कार, कंप्यूटर, लैपटॉप, टीवी, स्मार्टफोन, फ्रिज, घरेलू उपकरण और गेमिंग कंसोल जैसे कई उपकरणों में होता है। ऑटोमोबाइल उद्योग में चिप का इस्तेमाल एयरबैग लगाने में मदद करना, एंटरटेनमेंट यूनिट्स और पावर बैकअप कैमरों को कंट्रोल करना होता है।
इन छोटे आकार के चिप किसी भी उपकरण को चलाने में अहम भूमिका निभाते हैं जैसे डेटा ट्रांसफर और पावर डिस्प्ले। चिप की कमी का सीधा असर कारों, फ्रिज, लैपटाप, टीवी और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक सामानों की बिक्री पर भी पड़ा। तुरंत ऑर्डर करने पर इन चिप का उत्पादन तुरंत बढ़ाना संभव नहीं होता है। इसे बनाना एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें महीनों लगते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉर्पोरेशन (TSMC) दुनिया का सबसे बड़ा चिप निर्माता है। यह Qualcomm, Nivdia और Apple जैसी कंपनियां को चिप बेचती है। चिप निर्माण में इसकी हिस्सेदारी 56 फीसदी है। कोविड महामारी के दौरान इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की बिक्री में बढ़ोतरी की वजह से सेमीकंडक्टर की मांग काफी बढ़ गई। लेकिन सिर्फ कोविड-19 ही एक चिप की कमी की वजह नहीं है।
अमेरिका और चीन के बीच तनाव भी चिप की कमी का एक बहुत बड़ा कारण है। चूंकि कई अमेरिकी कंपनियां चीनी कंपनियों के साथ व्यापार करती हैं। उदाहरण के लिए अमेरिकी चिप निर्माताओं को सप्लाई करने वाली कंपनी Huawei को अमेरिकी सरकार ने ब्लैकलिस्ट कर दिया है। इसलिए चिप की आपूर्ति को सुचारू करने में लंबा समय लग सकता है।
गार्टनर द्वारा मई में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, सभी उपकरणों में इस्तेमाल होने वाले चिप की कमी साल 2022 की दूसरी तिमाही तक बनी रह सकती है। अगस्त में सेमीकंडक्टर की मांग और डिलीवरी के बीच का अंतर जुलाई में छह हफ्ते की तुलना में बढ़कर 21 हफ्ता हो गया था।
सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) ने इस महीने कहा था कि ऑटोमोबाइल उद्योग में सेमीकंडक्टर की कमी से उत्पादन गतिविधियां प्रभावित हुई हैं। इसकी वजह से पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष अगस्त में ऑटोमोबाइल थोक बिक्री में 11 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। सेमीकंडक्टर की कमी के कारण सितंबर में मारूति सुजुकी के उत्पादन में 60 फीसदी की कटौती की गई है। वहीं महिंद्रा एंड महिंद्रा ने कहा है कि सेमीकंडक्टर की कमी के कारण वह सितंबर में उत्पादन में 20-25 फीसदी की कम करेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में अमेरिका दौरे पर Qualcomm के सीईओ क्रिस्टिआनो ई अमोन के साथ बातचीत की थी। इस बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री ने उन्हें भारत में उपलब्ध व्यापक व्यवसायिक संभावनाओं के बारे में जानकारी दी। सैनडिआगो की यह कंपनी सेमीकंडक्टर, सॉफ्टवेयर बनाने के साथ वायरलेस टेक्नोलॉजी से जुड़ी सेवाएं देती है। भारत क्वालकॉम से बड़े स्तर पर निवेश चाहता है।
विस्तार
India Taiwan Chip Manufacturing Deal : Semiconductor (सेमीकंडक्टर) के वैश्विक संकट से इस समय पूरी दुनिया का उद्योग जगत प्रभावित है। सेमीकंडक्टर की कमी की मार ऑटोमोबाइल और गैजेट्स इंडस्ट्री पर पड़ी है। इसकी वजह से वाहन निर्माता कंपनियों को उत्पादन में कटौती करनी पड़ी है। दुनिया भर में ऑटोमोबाइल सेक्टर के साथ ही इसका असर मोबाइल फोन और अन्य टेक्नोलॉजी से जुड़े उत्पादों पर भी पड़ा है। लेकिन अब यह समस्या जल्द ही दूर होने वाली है। सेमीकंडक्टर यानी चिप की कमी को दूर करने के लिए भारत और ताइवान के बीच एक मेगा डील पर बातचीत चल रही है। इस समझौते के तहत भारत में ही चिप का उत्पादन किया जाएगा। इससे कंपोनेंट पर लगने वाले टैरिफ में भी कटौती होगी।
भारत में लगेगा प्लांट
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत और ताइवान के अधिकारी कई हफ्तों से सेमीकंडक्टर बनाने वाले प्लांट के समझौते को आखिरी रूप देने में लगे हैं। इस डील के तहत 7.5 अरब डॉलर (करीब 55.36 हजार करोड़ रुपये) की लागत से भारत में सेमिकंडक्टर उत्पादन के लिए एक प्लांट लगाया जाएगा। इसमें 5G डिवाइस से लेकर इलेक्ट्रिक कार तक के कंपोनेंट शामिल होंगे।
सेमीकंडक्टर्स या चिप बाजार में ताइवान की बड़ी हिस्सेदारी है। जानकारी के अनुसार 80 फीसदी चिप दक्षिण कोरिया और ताइवान में बनते हैं। ऐसे में भारत और ताइवान के बीच यह डील हो जाती है तो इसका भारत की अर्थव्यवस्था पर काफी सकारात्मक प्रभाव होगा।
क्यों हुई सेमीकंडक्टर की कमी
सेमीकंडक्टर चिप
– फोटो : pixabay
सेमीकंडक्टर्स या चिप की खास बात यह है कि अपने गुणों की वजह से यह कंडक्टर और इंसुलेटर के बीच कहीं होते हैं। आमतौर पर सिलिकॉन से बने इन चिप का इस्तेमाल कार, कंप्यूटर, लैपटॉप, टीवी, स्मार्टफोन, फ्रिज, घरेलू उपकरण और गेमिंग कंसोल जैसे कई उपकरणों में होता है। ऑटोमोबाइल उद्योग में चिप का इस्तेमाल एयरबैग लगाने में मदद करना, एंटरटेनमेंट यूनिट्स और पावर बैकअप कैमरों को कंट्रोल करना होता है।
इन छोटे आकार के चिप किसी भी उपकरण को चलाने में अहम भूमिका निभाते हैं जैसे डेटा ट्रांसफर और पावर डिस्प्ले। चिप की कमी का सीधा असर कारों, फ्रिज, लैपटाप, टीवी और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक सामानों की बिक्री पर भी पड़ा। तुरंत ऑर्डर करने पर इन चिप का उत्पादन तुरंत बढ़ाना संभव नहीं होता है। इसे बनाना एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें महीनों लगते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉर्पोरेशन (TSMC) दुनिया का सबसे बड़ा चिप निर्माता है। यह Qualcomm, Nivdia और Apple जैसी कंपनियां को चिप बेचती है। चिप निर्माण में इसकी हिस्सेदारी 56 फीसदी है। कोविड महामारी के दौरान इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की बिक्री में बढ़ोतरी की वजह से सेमीकंडक्टर की मांग काफी बढ़ गई। लेकिन सिर्फ कोविड-19 ही एक चिप की कमी की वजह नहीं है।
चीन और अमेरिका के बीच तनाव भी एक वजह
सेमीकंडक्टर चिप
– फोटो : Agency (File Photo)
अमेरिका और चीन के बीच तनाव भी चिप की कमी का एक बहुत बड़ा कारण है। चूंकि कई अमेरिकी कंपनियां चीनी कंपनियों के साथ व्यापार करती हैं। उदाहरण के लिए अमेरिकी चिप निर्माताओं को सप्लाई करने वाली कंपनी Huawei को अमेरिकी सरकार ने ब्लैकलिस्ट कर दिया है। इसलिए चिप की आपूर्ति को सुचारू करने में लंबा समय लग सकता है।
गार्टनर द्वारा मई में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, सभी उपकरणों में इस्तेमाल होने वाले चिप की कमी साल 2022 की दूसरी तिमाही तक बनी रह सकती है। अगस्त में सेमीकंडक्टर की मांग और डिलीवरी के बीच का अंतर जुलाई में छह हफ्ते की तुलना में बढ़कर 21 हफ्ता हो गया था।
थोक वाहन बिक्री में गिरावट
ऑटोमोबाइल सेक्टर
– फोटो : For Reference Only
सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) ने इस महीने कहा था कि ऑटोमोबाइल उद्योग में सेमीकंडक्टर की कमी से उत्पादन गतिविधियां प्रभावित हुई हैं। इसकी वजह से पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष अगस्त में ऑटोमोबाइल थोक बिक्री में 11 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। सेमीकंडक्टर की कमी के कारण सितंबर में मारूति सुजुकी के उत्पादन में 60 फीसदी की कटौती की गई है। वहीं महिंद्रा एंड महिंद्रा ने कहा है कि सेमीकंडक्टर की कमी के कारण वह सितंबर में उत्पादन में 20-25 फीसदी की कम करेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में अमेरिका दौरे पर Qualcomm के सीईओ क्रिस्टिआनो ई अमोन के साथ बातचीत की थी। इस बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री ने उन्हें भारत में उपलब्ध व्यापक व्यवसायिक संभावनाओं के बारे में जानकारी दी। सैनडिआगो की यह कंपनी सेमीकंडक्टर, सॉफ्टवेयर बनाने के साथ वायरलेस टेक्नोलॉजी से जुड़ी सेवाएं देती है। भारत क्वालकॉम से बड़े स्तर पर निवेश चाहता है।
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