हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: Abhilash Srivastava Updated Tue, 28 Sep 2021 02:43 PM IST
डॉ शुभम अग्रवाल
हृदय रोग विशेषज्ञ
उजाला सिग्नस हॉस्पिटल, काशीपुर
हृदय रोगों को दुनियाभर में होने वाली मौत के प्रमुख कारणों में से एक माना जाता है। आंकड़ों से पता चलता है कि हर साल तमाम तरह के हृदय रोगों के कारण लाखों लोगों की मौत हो जाती है। पिछले कुछ वर्षों में भारत में भी हृदय रोग के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक जीवनशैली में खराबी और खान-पान में पोषण की कमी के कारण हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है। कई अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि जो लोग बहुत ज्यादा तनाव लेते हैं उनमें, अन्य लोगों की तुलना में हृदय रोगों के विकसित होने का खतरा अधिक हो सकता है। मतलब, तनाव को हृदय रोगों का एक प्रमुख कारक माना जा सकता है। हृदय रोगों के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 29 सितंबर को ‘वर्ल्ड हार्ट डे’ मनाया जाता है।
डॉक्टरों के मुताबिक आजकल की तेजी से दौड़ती-भागती जिंदगी में तनाव, जीवन का एक हिस्सा बन गया है। कई प्रकार के शारीरिक और मानसिक कारणों से लोगों को तनाव की समस्या हो सकती है। पर्याप्त नींद न लेना, सामाजिक-पारिवारिक चीजों को लेकर चिंतित रहने या काम के दबाव के कारण लोगों में तनाव बढ़ जाता है। यदि यह समस्या लंबे समय तक बनी रहे तो इससे तमाम तरह के हृदय रोगों का खतरा उत्पन्न हो सकता है। डॉक्टर कहते हैं, तनाव का प्रबंधन करके आप इस गंभीर और जानलेवा समस्या से बचे रह सकते हैं। आइए आगे की स्लाइडों में इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।