सार
यह पहली बार नहीं है जब सिद्धू ने अचानक ही कोई बड़ा फैसला लेकर अपने दल पर प्रभाव डाला हो। इससे पहले अपने क्रिकेट करियर से लेकर राजनीति में कप्तानों से नाराजगी के चलते इस तरह अचानक फैसले लेकर अपनी टीम को नुकसान पहुंचाते रहे हैं।
नवजोत सिंह सिद्धू का क्रिकेट टीम के कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन (बाएं) और कैप्टन अमरिंदर सिंह (दाएं) दोनों के साथ रहा विवाद।
– फोटो : Social Media
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यह पहली बार नहीं है जब सिद्धू ने अचानक ही कोई बड़ा फैसला लेकर अपने दल पर प्रभाव डाला हो। इससे पहले अपने क्रिकेट करियर से लेकर भाजपा और अमरिंदर सरकार में रहने के दौरान भी वे कप्तानों से नाराजगी के चलते इस तरह अचानक फैसले लेकर अपनी टीम को नुकसान पहुंचाते रहे हैं।
भारतीय क्रिकेट टीम ने 1996 में इंग्लैंड का दौरा किया था। यहां टीम को तीन वनडे की सीरीज खेलनी थीं। बताया जाता है कि नवजोत सिंह सिद्धू सीरीज को अचानक ही छोड़ कर देश लौट गए थे। तब ऐसी अटकलें उठी थीं कि उनका विवाद टीम के कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन से हो गया था, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो पाई। 2011 में बीसीसीआई के पूर्व सचिव जयवंत लेले की एक किताब में सिद्धू की इस पूरी हरकत का ब्योरा दिया गया था।
इस किताब में कहा गया है कि इंग्लैंड दौरे पर सिद्धू की टीम के कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन से दूरी इतनी बढ़ चुकी थी कि उन्होंने पहले वनडे में खेलने के बाद दूसरे वनडे में खेलने से इनकार कर दिया और भारत लौट गए। लेले ने कहा कि सिद्धू ने उस वक्त अजहरुद्दीन के रवैये पर नाराजगी जताई थी, जो कि अनजाने में खिलाड़ियों से मजाक में अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते थे। किताब में कहा गया है कि सिद्धू इससे इतना नाराज थे कि उन्होंने पूरी टीम को बीच में ही छोड़ दिया था। बाद में सिद्धू की इस हरकत पर जांच भी बिठाई गई। हालांकि, जब उन्हें पता चला कि अजहरुद्दीन हैदराबाद का होने की वजह से उस भाषा का इस्तेमाल करते थे, तो सिद्धू इसे जानकर चौंक गए थे।
नवजोत सिंह सिद्धू ने 2016 में अचानक ही अपनी राज्यसभा सीट भी इसी तरह छोड़ने का एलान किया था। दरअसल, सिद्धू की भाजपा से नाराजगी 2014 में ही शुरू हो गई थी, जब उन्हें अमृतसर सीट से टिकट नहीं दिया गया था। सिद्धू की जगह इस चुनाव में उन्हें राजनीति में लाने वाले अरुण जेटली को लड़ाया गया था। तब सिद्धू की नाराजगी को देखते हुए अटकलें लगाई जा रही थीं कि वे सांसद पद को छोड़ने वाले हैं। लेकिन उनका इस्तीफा आया दो साल बाद, वह भी तब जब पंजाब चुनाव को महज एक साल ही बाकी था। बताया गया था कि तब उनकी नाराजगी भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से थी, जिसके मुखिया अमित शाह थे। बाद में सिद्धू ने 2018 में खुद खुलासा किया था कि भाजपा ने उन्हें पंजाब से दूर रहने के लिए कहा था, जिसे लेकर वे नाराज थे और इसीलिए उन्होंने पार्टी छोड़ दी।
सिद्धू ने ऐसा ही एक कदम 2019 में भी उठाया था, जब उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से नाराजगी के चलते कैबिनेट मंत्री के अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। तब सिद्धू ने मंत्री पद छोड़ने का एलान भी ट्विटर पर ही किया था। अपने इस्तीफे में सिद्धू ने तब कैबिनेट छोड़ने के पीछे कोई वजह नहीं दी थी, बल्कि सिर्फ यह कहा था कि वे पंजाब कैबिनेट से इस्तीफा दे रहे हैं और अपना इस्तीफा पंजाब के मुख्यमंत्री को भेज रहे हैं।
तब सामने आया था कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ विवाद ही सिद्धू के इस्तीफे की वजह बना था। दरअसल, कैप्टन को सिद्धू के पाकिस्तान के पीएम इमरान के शपथग्रहण में जाना अखरा था। इसे लेकर उन्होंने सिद्धू को दोबारा सोचने की सलाह भी दी थी, लेकिन वे नहीं माने। इसके अलावा 2019 के लोकसभा चुनाव में भी सिद्धू को कांग्रेस के स्टार प्रचारक के तौर पर जगह दी गई, पर उन्हें पंजाब में अभियान करने की इजाजत नहीं मिली। इसी दौरान सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर ने आरोप लगाया था कि अमरिंदर सिंह ने उनका टिकट रोक लिया। बाद में पंजाब सीएम ने नवजोत सिंह सिद्धू पर अपना विभाग ठीक से न संभालने के आरोप लगा दिए।
विस्तार
नवजोत सिंह सिद्धू ने मंगलवार को पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफे का एलान कर दिया। उन्होंने ट्विटर पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नाम एक चिट्ठी पोस्ट की। इसमें उन्होंने लिखा कि वे कभी भी पंजाब के भविष्य और पंजाब की भलाई के अपने एजेंडे से समझौता नहीं कर सकते और इसलिए वे पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे रहे हैं।
यह पहली बार नहीं है जब सिद्धू ने अचानक ही कोई बड़ा फैसला लेकर अपने दल पर प्रभाव डाला हो। इससे पहले अपने क्रिकेट करियर से लेकर भाजपा और अमरिंदर सरकार में रहने के दौरान भी वे कप्तानों से नाराजगी के चलते इस तरह अचानक फैसले लेकर अपनी टीम को नुकसान पहुंचाते रहे हैं।
1996: कप्तान अजहरुद्दीन से हुए नाराज तो बीच में छोड़ दिया टीम का साथ
भारतीय क्रिकेट टीम ने 1996 में इंग्लैंड का दौरा किया था। यहां टीम को तीन वनडे की सीरीज खेलनी थीं। बताया जाता है कि नवजोत सिंह सिद्धू सीरीज को अचानक ही छोड़ कर देश लौट गए थे। तब ऐसी अटकलें उठी थीं कि उनका विवाद टीम के कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन से हो गया था, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो पाई। 2011 में बीसीसीआई के पूर्व सचिव जयवंत लेले की एक किताब में सिद्धू की इस पूरी हरकत का ब्योरा दिया गया था।
इस किताब में कहा गया है कि इंग्लैंड दौरे पर सिद्धू की टीम के कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन से दूरी इतनी बढ़ चुकी थी कि उन्होंने पहले वनडे में खेलने के बाद दूसरे वनडे में खेलने से इनकार कर दिया और भारत लौट गए। लेले ने कहा कि सिद्धू ने उस वक्त अजहरुद्दीन के रवैये पर नाराजगी जताई थी, जो कि अनजाने में खिलाड़ियों से मजाक में अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते थे। किताब में कहा गया है कि सिद्धू इससे इतना नाराज थे कि उन्होंने पूरी टीम को बीच में ही छोड़ दिया था। बाद में सिद्धू की इस हरकत पर जांच भी बिठाई गई। हालांकि, जब उन्हें पता चला कि अजहरुद्दीन हैदराबाद का होने की वजह से उस भाषा का इस्तेमाल करते थे, तो सिद्धू इसे जानकर चौंक गए थे।
2016: जो राजनीति में लाया, उसी से नाराजगी में छोड़ दी पार्टी
नवजोत सिंह सिद्धू ने 2016 में अचानक ही अपनी राज्यसभा सीट भी इसी तरह छोड़ने का एलान किया था। दरअसल, सिद्धू की भाजपा से नाराजगी 2014 में ही शुरू हो गई थी, जब उन्हें अमृतसर सीट से टिकट नहीं दिया गया था। सिद्धू की जगह इस चुनाव में उन्हें राजनीति में लाने वाले अरुण जेटली को लड़ाया गया था। तब सिद्धू की नाराजगी को देखते हुए अटकलें लगाई जा रही थीं कि वे सांसद पद को छोड़ने वाले हैं। लेकिन उनका इस्तीफा आया दो साल बाद, वह भी तब जब पंजाब चुनाव को महज एक साल ही बाकी था। बताया गया था कि तब उनकी नाराजगी भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से थी, जिसके मुखिया अमित शाह थे। बाद में सिद्धू ने 2018 में खुद खुलासा किया था कि भाजपा ने उन्हें पंजाब से दूर रहने के लिए कहा था, जिसे लेकर वे नाराज थे और इसीलिए उन्होंने पार्टी छोड़ दी।
2019: अचानक छोड़ा मंत्री पद, अमरिंदर सिंह से विवाद रहा वजह
सिद्धू ने ऐसा ही एक कदम 2019 में भी उठाया था, जब उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से नाराजगी के चलते कैबिनेट मंत्री के अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। तब सिद्धू ने मंत्री पद छोड़ने का एलान भी ट्विटर पर ही किया था। अपने इस्तीफे में सिद्धू ने तब कैबिनेट छोड़ने के पीछे कोई वजह नहीं दी थी, बल्कि सिर्फ यह कहा था कि वे पंजाब कैबिनेट से इस्तीफा दे रहे हैं और अपना इस्तीफा पंजाब के मुख्यमंत्री को भेज रहे हैं।
तब सामने आया था कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ विवाद ही सिद्धू के इस्तीफे की वजह बना था। दरअसल, कैप्टन को सिद्धू के पाकिस्तान के पीएम इमरान के शपथग्रहण में जाना अखरा था। इसे लेकर उन्होंने सिद्धू को दोबारा सोचने की सलाह भी दी थी, लेकिन वे नहीं माने। इसके अलावा 2019 के लोकसभा चुनाव में भी सिद्धू को कांग्रेस के स्टार प्रचारक के तौर पर जगह दी गई, पर उन्हें पंजाब में अभियान करने की इजाजत नहीं मिली। इसी दौरान सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर ने आरोप लगाया था कि अमरिंदर सिंह ने उनका टिकट रोक लिया। बाद में पंजाब सीएम ने नवजोत सिंह सिद्धू पर अपना विभाग ठीक से न संभालने के आरोप लगा दिए।
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