Commission Related To Education In India: हमारे वेदों के अध्ययन से पता चलता है कि प्राचीन काल में भारत में सभी वर्गों को शिक्षा प्राप्ति का अधिकार था प्राचीन समय में भारत में गुरुकुल पद्धति से शिक्षा दी जाती थी। यह पद्धति अत्यंत कठिन थी परंतु इससे प्राप्त ज्ञान जीवन को बदलने वाला था। आज से लगभग 2700 वर्ष पूर्व भारत के तक्षशिला में विश्व का पहला विश्वविद्यालय स्थापित किया गया था। इसके बाद लगभग 2300 वर्ष पूर्व नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना की गई। यह दोनों ही विश्वविद्यालय वेद वेदांग के अतिरिक्त ज्ञान-विज्ञान, तकनीकी, गणित खगोल, भौतिकी, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, नीति शास्त्र, व्याकरण आदि अनेक विषयों के लिए प्रसिद्ध थे।
- भारत में शिक्षा के स्वरूप में बदलाव विदेशी आक्रमणों के साथ ही शुरू हो गया था, कई बार भारत के शिक्षा प्रणाली में बदलाव किया गया, लेकिन इसमें सबसे ज्यादा बदलाव ब्रिटिश हुकूमत के समय आया। भारत में आज के शिक्षा प्रणाली का एक सिरा आज़ादी के पूर्व ब्रिटिश हुकूमत वाले दिनों की तरफ जाता है तो दूसरा सिरा स्वतंत्रता मिलने के बाद की कहानी से जुड़ा हुआ है।
- ब्रिटिश शासन के दौरान से ही शिक्षा से जुड़ी विभिन्न समस्याओं पर विचार करने के लिए समय-समय पर कई शिक्षा आयोगों का गठन किया गया, मगर जिस आयोग ने शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर समग्रता से विचार किया उसमें 14 जुलाई 1964 में बने कोठारी कमीशन का जिक्र किया जाता है। जैसे साल 1948-49 में बनी राधाकृष्णन कमीशन ने केवल उच्च शिक्षा पर विचार किया। वहीं मुदालियर कमीशन ने केवल माध्यमिक शिक्षा पर विचार किया।
इसे भी पढ़ें: GK Update: राजस्थान के 10 किले और महल, जिनके बारे में आपने शायद ही सुना होगा
भारत में स्वतंत्रता पूर्व बनी शिक्षा समितियां व आयोग
- कलकत्ता विश्वविद्यालय परिषद– साल 1818
- चार्ल्सवुड समिति– साल 1824: इसे भारतीय शिक्षा का मैग्नाकार्टा भी कहा जाता है।
- डब्लू डब्लू हंटर शिक्षा आयोग– 1882 से 1883: भारत में महिला शिक्षा का विकास करना।
- सर थॉमस रैले आयोग– 1902: इसी आयोग की रिपोर्ट पर 1904 में भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम पारित किया गया था।
- एम ई सैडलर आयोग– 1917: स्कूली शिक्षा को 12 वर्ष करने का सुझाव दिया गया।
- सर फिलिप हार्टोग समिति– 1929: इसमें व्यावसायिक व औद्योगिक शिक्षा पर जोर दिया गया
- सर जॉन सार्जेण्ट समिति– 1944: इसमें 6 से 11 साल की उम्र तक के बच्चों को निःशुल्क व अनिवार्य शिक्षा की बात कही गई।
इसे भी पढ़ें: Krishna Sobti: ये हैं मशहूर साहित्यकार कृष्णा सोबती के जीवन से जुड़ी बातें, लिखे थे कमाल के उपन्यास
स्वतंत्रता के बाद बनी शिक्षा समितियां और आयोग
- डॉ. एस. राधाकृष्णनन् आयोग– साल 1948-49: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की स्थापना।
- मुदालियर शिक्षा आयोग– साल 1952-53: इसे माध्यमिक शिक्षा आयोग भी कहा जाता है।
- डॉ. डीएस कोठारी आयोग– साल 1968: इसमें सामाजिक उत्तरदायित्व व नैतिक शिक्षा पर ध्यान दिया गया।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर पुनर्विचार– साल 1986(1992): एक सजग व मानवतावादी समाज के लिए शिक्षा का इस्तेमाल। इसे आचार्य राममूर्ति समिति भी कहा जाता है। इस शिक्षा नीति का 1992 में आचार्य राममूर्ति की अध्यक्षता में समीक्षा किया गया था। यह शिक्षा नीति 2020 तक लागू रही।
- एम. बी. बुच समिति– साल 1989: दूरस्थ शिक्षा माध्यम पर बनी पहली शिक्षा समिति।
- जी.राम रेड्डी समिति– साल 1992: दूरस्थ शिक्षा पर केन्द्रीय परामर्श समिति।
- प्रोफ़ेसर यशपाल समिति– 1992: बोझमुक्त शिक्षा की संकल्पना।
- रामलाल पारेख समिति– 1993: बीएड पत्राचार समिति।
- प्रो. खेरमा लिंगदोह समिति– 1994: पत्राचार बीएड अवधि 14 माह तय की गई।
- प्रो. आर टकवाले समिति– साल 1995: सेवारत अध्यापकों हेतु पत्राचार से बीएड।
- राष्ट्रीय ज्ञान आयोग– 2005: ज्ञान आधारित समाज की संकल्पना व प्राथमिक स्तर से अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा को अनिवार्य करने की सिफारिश की गई।
- जस्टिस जे एस वर्मा समिति – 2012: शिक्षकों की क्षमता की समय-समय पर जांच।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति– 2017: राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2017 का मसौदा तैयार करने के लिए अंतरिक्ष वैज्ञानिक एवं पद्मविभूषण डॉ के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में 9 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। इसे साल 2020 में लागू कर दिया गया।