अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली
Published by: सुशील कुमार कुमार
Updated Sat, 02 Oct 2021 10:55 PM IST
सार
डॉ. ओम प्रकाश ने बताया कि 16 से 18 की उम्र बच्चों के लिए एक ऐसा पड़ाव है, जब उनके चरित्र का निर्माण होता है। वो वातावरण से बहुत कुछ सीख रहे होते हैं।
दिल्ली में आए दिन हो रही हिंसात्मक घटनाओं से बच्चे प्रेरित होते हैं। कुछ बच्चे भटक कर हिंसा का रास्ता इख्तियार कर लेते हैं। ऐसे बच्चों को सुधारने के लिए काउंसिलिंग की जरूरत है। इहबास के मनोचिकित्सक डॉ. ओम प्रकाश ने बच्चों में बढ़ती हिंसा की प्रवृत्ति के विषय में बातचीत के दौरान यह बातें कही।
डॉ. ओम प्रकाश ने बताया कि 16 से 18 की उम्र बच्चों के लिए एक ऐसा पड़ाव है, जब उनके चरित्र का निर्माण होता है। वो वातावरण से बहुत कुछ सीख रहे होते हैं। ओखला के तेहखंड में एक दसवीं कक्षा के छात्र ने ग्यारहवीं के छात्र की चाकू मारकर हत्या कर दी, यह घटना कोई अनोखी नहीं है। लेकिन राजधानी में घटित यह मामला चिंताजनक है।
बच्चों में बहुत ज्यादा बढ़ गई मोबाइल की लत
डॉ. ओम प्रकाश ने कहा कि गौर करें तो पता चलता है कि ज्यादातर बच्चों में मोबाइल फोन की लत बहुत ज्यादा बढ़ गई है। बच्चों की मांग आवश्यकताओं से अधिक बढ़ गई है। जरूरतें नहीं पूरी होने पर बच्चों में चिड़चिड़ापन बढ़ गया है। घर के बाहर बच्चे ग्रुप बना रहे हैं। ग्रुप को लीड करने को लेकर उनके बीच आपस में भी जबरदस्त द्वंद्व होता है।
सही सलाह ही कारगर उपाय
इस अवस्था में बच्चों का हार्मोन चरम पर होता है। ऐसी स्थिति में अगर उनकी ऊर्जा को सही संतुलन नहीं मिलता है तो इसका दुष्परिणाम देखने को मिलता है। फिर भी ऐसे बच्चो को हिंसा के रास्ते से दूर ले जाने के लिए सही सलाह ही कारगर उपाय है।
विस्तार
दिल्ली में आए दिन हो रही हिंसात्मक घटनाओं से बच्चे प्रेरित होते हैं। कुछ बच्चे भटक कर हिंसा का रास्ता इख्तियार कर लेते हैं। ऐसे बच्चों को सुधारने के लिए काउंसिलिंग की जरूरत है। इहबास के मनोचिकित्सक डॉ. ओम प्रकाश ने बच्चों में बढ़ती हिंसा की प्रवृत्ति के विषय में बातचीत के दौरान यह बातें कही।
डॉ. ओम प्रकाश ने बताया कि 16 से 18 की उम्र बच्चों के लिए एक ऐसा पड़ाव है, जब उनके चरित्र का निर्माण होता है। वो वातावरण से बहुत कुछ सीख रहे होते हैं। ओखला के तेहखंड में एक दसवीं कक्षा के छात्र ने ग्यारहवीं के छात्र की चाकू मारकर हत्या कर दी, यह घटना कोई अनोखी नहीं है। लेकिन राजधानी में घटित यह मामला चिंताजनक है।
बच्चों में बहुत ज्यादा बढ़ गई मोबाइल की लत
डॉ. ओम प्रकाश ने कहा कि गौर करें तो पता चलता है कि ज्यादातर बच्चों में मोबाइल फोन की लत बहुत ज्यादा बढ़ गई है। बच्चों की मांग आवश्यकताओं से अधिक बढ़ गई है। जरूरतें नहीं पूरी होने पर बच्चों में चिड़चिड़ापन बढ़ गया है। घर के बाहर बच्चे ग्रुप बना रहे हैं। ग्रुप को लीड करने को लेकर उनके बीच आपस में भी जबरदस्त द्वंद्व होता है।
सही सलाह ही कारगर उपाय
इस अवस्था में बच्चों का हार्मोन चरम पर होता है। ऐसी स्थिति में अगर उनकी ऊर्जा को सही संतुलन नहीं मिलता है तो इसका दुष्परिणाम देखने को मिलता है। फिर भी ऐसे बच्चो को हिंसा के रास्ते से दूर ले जाने के लिए सही सलाह ही कारगर उपाय है।