आपसी पारिवारिक कलह बन रही बड़ा कारण
रणनीतिकारों को अंतिम समय तक करना पड़ा विचार विमर्श

सतना. रैगांव उपचुनाव में अभी भले ही भाजपा टिकिट घोषित नहीं कर सकी है लेकिन टिकिट के दावेदारों ने भाजपा के रणनीतिकारों की पेशानी पर बल बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। वहीं दिवंगत विधायक जुगुल किशोर बागरी के परिवार की प्रेशर पॉलटिक्स ने पार्टी और संगठन के लोगों के पसीनें छुड़ा रखे हैं। हालात यह है कि टिकिट तय करने के अंतिम वक्त तक इस वजह से काफी विचार विमर्श का दौर चलता रहा।
रणनीतिकारों को करनी पड़ी मशक्कत
भाजपा अंदरखाने के अनुसार रैगांव विधानसभा उपचुनाव के लिये टिकट वितरण को लेकर भाजपा के रणनीतिकारों को इस बार काफी मशक्कत करनी पड़ी है। सबसे ज्यादा परेशानी उन्हें दिवंगत विधायक जुगुलकिशोर बागरी के परिवार से ही झेलनी पड़ी है। सबसे बड़ा मसला तो जुगुल के दोनों बेटों की दावेदारी का रहा। दरअसल जुगुलकिशोर बागरी के जीवित रहते ही पुष्पराज बागरी उनके राजनीतिक वारिस के तौर पर काम कर रहे थे और विधायकी से जुड़े ज्यादातर काम वही देख भी रहे थे। लेकिन जुगुल के निधन के बाद परिवार में मतभेद की स्थिति बनने लगी। एक स्थिति यह आ गई कि जुगुलकिशोर बागरी के छोटे बेटे देवराज ने भी अपनी पत्नी वंदना के नाम पर दावेदारी जताने लगे। इतना ही नहीं उन्होंने बकायदे कार्ड तक इस संबंध में बांट दिये। लेकिन इसी बीच वंदना के जाति प्रमाण पत्र को लेकर एक फैसला आया और यह प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया गया। इसके बाद स्थितियां और बिगड़ गई। देवराज का यह मानना था कि इसके पीछे उनके अपने भाई पुष्पराज का हाथ रहा। हालांकि बाद में वे हाईकोर्ट पहुंच कर इस मामले में राहत ले आए। लेकिन दोनों के बीच की खाईं कम नहीं हो सकी। सीएम की जनदर्शन यात्रा के बीच भी देवराज ने अपनी पत्नी के साथ हर जगह मौजूद रहकर खुद को सशक्त दावेदार के रूप में प्रस्तुत किया। इस तरह दोनों भाइयों के बीच गहरी हो चुकी खाईं से भाजपा सोच में पड़ गई। अब तक जुगुल का नैसर्गिक वारिस मान रही भाजपा इस विवाद को सामने रख कर आगे की रणनीति तैयार करने में जुट गई।
सर्वे की स्थिति के बाद विकल्प की तलाश
इधर दोनों भाइयों की लड़ाई के बीच पार्टी ने उम्मीदवारी को लेकर सर्वे भी कराया। जिसमें जुगुलकिशोर बागरी के संबंध में रिपोर्ट भाजपा के अपेक्षित नहीं आई। इसके बाद पार्टी ने पुष्पराज के विकल्प के रूप में नाम तलाशने शुरू किये। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और संगठन के पदाधिकारियों से कई दौर की वार्ता उच्च नेतृत्व ने की। जिस पर रानी बागरी और प्रतिमा बागरी के नाम भी सामने आए। वहीं संगठन से पुराने जुड़े रहे सत्यनारायण बागरी का नाम भी इसी दौर में सामने आया। तमाम विचार विमर्श के बाद भाजपा के रणनीतिकारों ने महिला प्रत्याशी को लेकर स्थितियों का आकलन शुरू कर दिया।
तो पहुंचा बगावती संदेश
इधर जैसे ही भाजपा ने रैगांव के लिए महिला प्रत्याशियों के नाम पर विचार तेजी से शुरू किया और यह जानकारी सतना पहुंची तो जुगुल परिवार के एक सदस्य का संदेश ऊपर तक पहुंचा। जिसमें यह कहा गया था कि अगर उन्हें टिकिट नहीं मिली तो भी निर्दलीय चुनाव लड़ेगे और जुगुल किशोर जी की फोटो साथ लेकर प्रचार में उनके नाम पर वोट मांगेंगे। जैसे ही यह संदेश रणनीतिकारों तक पहुंचा तो स्थिति और तनावपूर्ण बन गई। एक ओर पार्टी के शीर्ष नेता परिवारवाद को नकारने की बात कह रहे थे इधर इस तरह की स्थिति बनती नजर आई। लिहाजा इसके बाद एक बार फिर से मंथन का दौर शुरू किया गया।
नाम दिल्ली पहुंचे
हालांकि भाजपा ने रैगांव को लेकर विचार विमर्श पूरा कर लिया है और नामों की सूची भी दिल्ली भेज दी है। किसके नाम भेजे गए हैं यह तो स्पष्ट नहीं है लेकिन राजधानी से लौटे संगठन और पार्टी के लोगों ने बताया कि तीन नाम गये हैं जिसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। बताया गया है 7 को पार्टी टिकिटों की घोषणा करेगी।