नई दिल्ली. असिस्टेंट प्रोफेसर बनने की राह देख रहे अभ्यर्थियों के लिए बड़ी खबर है. इस वर्ष पीएचडी की डिग्री पूरी करने वाले अभ्यर्थी भी असिस्टेंट प्रोफेसर बन सकेंगे. इस बात की जानकारी केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद प्रधान ने दी. उन्होंने कहा है कि असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए पीएचडी अनिवार्य नहीं है. विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर भर्तियों के लिए पीएचडी की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है. अब बिना पीएचडी किए छात्र भी इस पद के लिए आवेदन कर सकते हैं.
कोरोना वायरस के चलते दी गई राहत
केंद्रीय शिक्षा मंत्री की तरफ से अभ्यर्थियों को यह राहत कोरोनावायरस महामारी के कारण दी गई है. क्योंकि, दो साल से कोविड-19 के कारण स्टूडेंट्स की पीएचडी पूरी नहीं हो पाई है. शिक्षा मंत्री ने कहा, पहले भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों में सहायक प्रोफेसर पद पर भर्ती के लिए पीएचडी अनिवार्य कर दी गई थी. अब तक, इस मानदंड को शिक्षा मंत्रालय द्वारा हटा दिया गया है, ताकि रिक्त पदों को समय पर भरा जा सके और फैकल्टी/ प्रोफेसरों की संभावित कमी के कारण शिक्षा प्रभावित न हो.
आपको बता दें कि नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (NET) कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती के लिए एक महत्वपूर्ण मानदंड हुआ करता था. लेकिन साल 2018 में, सरकार ने कहा था कि असिस्टेंट प्रोफेसर पदों पर नियुक्त होने के लिए अभ्यर्थियों को पीएचडी की आवश्यकता होगी और भर्ती के लिए केवल नेट ही मानदंड नहीं होगा.
सरकार की तरफ से इस बात की घोषणा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों और अन्य शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए न्यूनतम योग्यता और उच्च शिक्षा में मानकों के रखरखाव के लिए अन्य उपाय) विनियम, 2018 के तहत घोषित किया गया था.
ऐसे में अभ्यर्थियों को अपनी पीएचडी पूरी करने के लिए तीन साल का समय दिया गया था. सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को 2021-22 शैक्षणिक सत्र से भर्ती के दौरान इस पर विचार करना शुरू करने को कहा. हालांकि, महामारी की स्थिति के कारण, कई अभ्यर्थी अपनी पीएचडी पूरी नहीं कर सकें और सरकार से इसमें इस साल छूट देने की अपील कर रहे थे. जिसके बाद सरकार की तरफ से फैसला लिया गया है. ऐसे में नेट (NET) पास अभ्यर्थी असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती के लिए आवेदन कर सकेंगे.
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