न्यूज डेस्क, अमर उजाला, वाराणसी
Published by: गीतार्जुन गौतम
Updated Tue, 28 Sep 2021 09:49 PM IST
सार
बीएचयू कृषि विज्ञान संस्थान में तैयार बीज से गेहूं की खेती अब देश में लहलहाएगी। रायपुर में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मालवीय 838 बीज को देश को समर्पित किया।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय।
– फोटो : अमर उजाला।
बीएचयू कृषि विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों की ओर से विकसित नई प्रजाति के गेहूं के बीज मालवीय 838 से अब देशभर में फसल लहलहाएगी। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (आईसीएआर) की ओर से रायपुर में आयोजित कार्यक्रम में मालवीय 838 बीज को देश को समर्पित किया। कृषि विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. रमेश चंद ने संस्थान के वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए इसे बड़ी उपलब्धि बताया है।
बीएचयू कृषि विज्ञान संस्थान की ओर से समय-समय पर धान, गेहूं की बीज की प्रजातियों को तैयार करने सहित खेती, किसानी से संबंधित शोध कार्य होते हैं। गेहूं की प्रजाति मालवीय 838 को विकसित करने वाली टीम के प्रमुख सदस्यों प्रो. विनोद कुमार मिश्र ने बताया कि इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता एक हेक्टेयर में 50 क्विंटल है जबकि सामान्य बीज की क्षमता 40 से 45 क्विंटल है।
छह साल बाद मिली सफलता
उन्होंने बताया कि इस प्रजाति में अधिक उपज के साथ-साथ जिंक और आयरन की मात्रा भी अधिक है और यह कम पानी में भी अपेक्षाकृत अधिक उत्पादन देती है। करीब छह साल की मेहनत के बाद यह सफलता मिली है। कृषि विज्ञान संस्थान की टीम में प्रोफेसर विनोद कुमार मिश्र, प्रोफेसर हेमंत कुमार जायसवाल, डॉ संदीप शर्मा अनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग, प्रोफेसर रमेश कुमार सिंह शस्य विज्ञान विभाग, प्रोफेसर रमेश चंद, प्रोफेसर श्याम शरण वैश पादप रोग विज्ञान विभाग का प्रमुख योगदान रहा।
प्रो. विनोद कुमार मिश्र के अनुसार इस समय बांग्लादेश में एक बीमारी ब्लॉस्ट बड़ी तेजी से फैली है, इस वजह से उत्पादन बहुत कम हो गया है। यह बीमारी हवा से फैलती है, ऐसे में पड़ोसी देश में इस बीमारी के होने से भारत में भी इस बीमारी की संभावना अधिक है। आईसीएआर के नियमानुसार मालवीय 838 को जांच के लिए बांग्लादेश भी भेजा गया, जिसमें यह पाया गया कि इस पर बीमारी का कोई असर नहीं है। अगर बांग्लादेश से सटे भारत के राज्यों में इस प्रजाति को उगाया जाए तो हम इस बीमारी को भारत में आने से रोक सकते हैं।
विस्तार
बीएचयू कृषि विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों की ओर से विकसित नई प्रजाति के गेहूं के बीज मालवीय 838 से अब देशभर में फसल लहलहाएगी। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (आईसीएआर) की ओर से रायपुर में आयोजित कार्यक्रम में मालवीय 838 बीज को देश को समर्पित किया। कृषि विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. रमेश चंद ने संस्थान के वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए इसे बड़ी उपलब्धि बताया है।
बीएचयू कृषि विज्ञान संस्थान की ओर से समय-समय पर धान, गेहूं की बीज की प्रजातियों को तैयार करने सहित खेती, किसानी से संबंधित शोध कार्य होते हैं। गेहूं की प्रजाति मालवीय 838 को विकसित करने वाली टीम के प्रमुख सदस्यों प्रो. विनोद कुमार मिश्र ने बताया कि इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता एक हेक्टेयर में 50 क्विंटल है जबकि सामान्य बीज की क्षमता 40 से 45 क्विंटल है।
छह साल बाद मिली सफलता
उन्होंने बताया कि इस प्रजाति में अधिक उपज के साथ-साथ जिंक और आयरन की मात्रा भी अधिक है और यह कम पानी में भी अपेक्षाकृत अधिक उत्पादन देती है। करीब छह साल की मेहनत के बाद यह सफलता मिली है। कृषि विज्ञान संस्थान की टीम में प्रोफेसर विनोद कुमार मिश्र, प्रोफेसर हेमंत कुमार जायसवाल, डॉ संदीप शर्मा अनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग, प्रोफेसर रमेश कुमार सिंह शस्य विज्ञान विभाग, प्रोफेसर रमेश चंद, प्रोफेसर श्याम शरण वैश पादप रोग विज्ञान विभाग का प्रमुख योगदान रहा।
गेहूं की खेती में लगने वाली बीमारी ब्लॉस्ट का भी असर नहीं
प्रो. विनोद कुमार मिश्र के अनुसार इस समय बांग्लादेश में एक बीमारी ब्लॉस्ट बड़ी तेजी से फैली है, इस वजह से उत्पादन बहुत कम हो गया है। यह बीमारी हवा से फैलती है, ऐसे में पड़ोसी देश में इस बीमारी के होने से भारत में भी इस बीमारी की संभावना अधिक है। आईसीएआर के नियमानुसार मालवीय 838 को जांच के लिए बांग्लादेश भी भेजा गया, जिसमें यह पाया गया कि इस पर बीमारी का कोई असर नहीं है। अगर बांग्लादेश से सटे भारत के राज्यों में इस प्रजाति को उगाया जाए तो हम इस बीमारी को भारत में आने से रोक सकते हैं।
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गेहूं की खेती में लगने वाली बीमारी ब्लॉस्ट का भी असर नहीं