Publish Date: | Fri, 01 Oct 2021 04:36 PM (IST)
Bhopal Arts And Culture News: भोपाल (नवदुनिया रिपोर्टर)। राजधानी में स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय द्वारा अपनी ऑनलाइन प्रदर्शनी श्रृंखला के 68वें सोपान के तहत मिथक वीथी मुक्ताकाश प्रदर्शनी से गुग्गा देव की जानकारी को संबंधित छायाचित्रों एवं वीडियो के साथ ऑनलाइन प्रस्तुत किया गया है।
इस संदर्भ में संग्रहालय के निदेशक डॉ. प्रवीण कुमार मिश्र ने बताया कि हिम आच्छादित या बर्फ से ढंके हिमालय के मध्य स्थित हिमाचल प्रदेश का यह नामकरण दरअसल इसकी भौगोलिक स्थिति के कारण ही हुआ। प्राचीन भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार हिमालय का जन्म भगवान शिव की जटाओं से हुआ। इनकी सृष्टि देवी गंगा के स्वर्ग से धरती पर उतरते समय धरती को उनके प्रवाह से बचाने के लिए हुई। हिमाचल प्रदेश परंपराओं, कला और संस्कृति में अभिव्यक्त स्थानीय धरोहर का एक खजाना है। मूल में स्थानीय देवी-देवताओं का होना इस विरासत का एक अनिवार्य पक्ष है जो आज भी इस पर्वतीय क्षेत्र के रहवासियों की आस्था और विश्वास का अभिन्न अंग है।
म्यूजियम एसोसिएट गरिमा आनंद दुबे ने बताया कि गुग्गा या गोगा देव उन विभिन्न लोक देवताओं में एक हैं, जिनके मंदिर हिमाचल प्रदेश के सिरमौर और कांगड़ा एवं हरियाणा, पंजाब, उत्तरप्रदेश और मध्य प्रदेश के कुछ स्थानों पर है। गुग्गा देव का मंदिर एक छोटा-सा कमरा होता है और वहां देवता रहते हैं। गुग्गा देव कोई 150 साल पहले राजस्थान से हिमाचल प्रदेश लाए गए थे। प्रतिवर्ष श्रावण पूर्णिमा (रक्षाबंधन की रात) गुग्गाजी की प्रतिमा को एक सप्ताह की यात्रा (जात्रा) के लिए बाहर लाया जाता है। सातवें दिन वे वापस आते हैं आठवीं रात को पवित्र अग्नि (हवन) जलाने के साथ जागरण (जगराता) की शुरुआत होती है। गुग्गा नवमी को उनकी जयंती मनाई जाती है। इसी दिन गुग्गा देव अपनी मां के श्राप से मुक्त होकर प्रकट हुए थे। दर्शक इसका अवलोकन मानव संग्रहालय की अधिकृत साइट एवं फेसबुक के अतिरिक्त यूट्यूब लिंक पर ऑनलाइन के माध्यम से घर बैठे कर सकते हैं।
Posted By: Ravindra Soni

