Ban On Msc Wildlife Science Course In Wildlife Institute Of India – भारतीय वन्यजीव संस्थान में एमएससी वाइल्डलाइफ साइंस का अध्ययन नहीं कर सकेंगे छात्र

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देहरादून। भारतीय वन्यजीव संस्थान से छात्र एमएससी लाइफ साइंस की पढ़ाई नहीं कर सकेंगे और न ही उन्हें डिग्री दी जा सकेगी। उत्तराखंड के किसी विश्वविद्यालय से संबद्धता नहीं होने की वजह से संस्थान निदेशक ने एमएससी वाइल्ड लाइफ साइंस के कोर्स पर रोक लगा दी है। साथ ही राज्य के विश्वविद्यालयों से संबद्धता को लेकर प्रयास शुरू कर दिए हैं।
बता दें कि भारतीय वन्यजीव संस्थान में एमएससी वाइल्ड लाइफ साइंस के साथ ही वर्ल्ड लाइफ साइंस में ही पीएचडी करायी जाती है। छात्र-छात्राओं को सौराष्ट्र विश्वविद्यालय गुजरात की ओर से डिग्री प्रदान की जाती थी। वहीं, पीएचडी करने वाले छात्र-छात्राओं को सौराष्ट्र विश्वविद्यालय गुजरात और एफआरआई डीम्ड यूनिवर्सिटी की ओर से डिग्री दी जाती है, लेकिन इसी बीच विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने एक आदेश जारी किया कि जिस भी राज्य में जो भी संस्थान है, उन्हीं राज्यों के विश्वविद्यालयों से ही संस्थान की संबद्धता होनी चाहिए और वहीं से ही डिग्री मिलनी चाहिए। ऐसे में भारतीय वन्यजीव संस्थान उत्तराखंड में होने के साथ ही इसकी राज्य के किसी विश्वविद्यालय से संबद्धता नहीं है।
लिहाजा, यूजीसी के प्रावधानों के मुताबिक सौराष्ट्र विश्वविद्यालय से यहां के छात्र-छात्राओं को डिग्री नहीं दी जा सकती, लेकिन इसके बावजूद पाठ्यक्रम जारी रहा। साल 2019 फरवरी में जब केंद्र सरकार के महानिदेशक ऑडिट के निर्देश पर संस्थान का साइंटिफिक ऑडिट किया गया तो ऑडिट टीम ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए पाठ्यक्रम बंद करने की सिफारिश की। प्रकरण संस्थान निदेशक डॉ. धनंजय मोहन के संज्ञान में लाया गया तो उन्होंने इसे गंभीरता से लेते हुए पाठ्यक्रम पर रोक लगा दी।
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भारतीय वन्यजीव संस्थान की उत्तराखंड के किसी भी विश्वविद्यालय से संबंद्धता नहीं है। लिहाजा अस्थाई तौर पर पाठ्यक्रम बंद कर दिया गया है। जहां तक पीएचडी का सवाल है तो एफआरआई डीम्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी की डिग्री दी जा रही है, लेकिन एमएससी वर्ल्ड लाइफ साइंस का पाठ्यक्रम बंद कर दिया गया है। राज्य के विश्वविद्यालयों से संबद्धता के लिए प्रयास जारी हैं।
– डॉ. धनंजय मोहन, निदेशक, भारतीय वन्यजीव संस्थान

देहरादून। भारतीय वन्यजीव संस्थान से छात्र एमएससी लाइफ साइंस की पढ़ाई नहीं कर सकेंगे और न ही उन्हें डिग्री दी जा सकेगी। उत्तराखंड के किसी विश्वविद्यालय से संबद्धता नहीं होने की वजह से संस्थान निदेशक ने एमएससी वाइल्ड लाइफ साइंस के कोर्स पर रोक लगा दी है। साथ ही राज्य के विश्वविद्यालयों से संबद्धता को लेकर प्रयास शुरू कर दिए हैं।

बता दें कि भारतीय वन्यजीव संस्थान में एमएससी वाइल्ड लाइफ साइंस के साथ ही वर्ल्ड लाइफ साइंस में ही पीएचडी करायी जाती है। छात्र-छात्राओं को सौराष्ट्र विश्वविद्यालय गुजरात की ओर से डिग्री प्रदान की जाती थी। वहीं, पीएचडी करने वाले छात्र-छात्राओं को सौराष्ट्र विश्वविद्यालय गुजरात और एफआरआई डीम्ड यूनिवर्सिटी की ओर से डिग्री दी जाती है, लेकिन इसी बीच विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने एक आदेश जारी किया कि जिस भी राज्य में जो भी संस्थान है, उन्हीं राज्यों के विश्वविद्यालयों से ही संस्थान की संबद्धता होनी चाहिए और वहीं से ही डिग्री मिलनी चाहिए। ऐसे में भारतीय वन्यजीव संस्थान उत्तराखंड में होने के साथ ही इसकी राज्य के किसी विश्वविद्यालय से संबद्धता नहीं है।

लिहाजा, यूजीसी के प्रावधानों के मुताबिक सौराष्ट्र विश्वविद्यालय से यहां के छात्र-छात्राओं को डिग्री नहीं दी जा सकती, लेकिन इसके बावजूद पाठ्यक्रम जारी रहा। साल 2019 फरवरी में जब केंद्र सरकार के महानिदेशक ऑडिट के निर्देश पर संस्थान का साइंटिफिक ऑडिट किया गया तो ऑडिट टीम ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए पाठ्यक्रम बंद करने की सिफारिश की। प्रकरण संस्थान निदेशक डॉ. धनंजय मोहन के संज्ञान में लाया गया तो उन्होंने इसे गंभीरता से लेते हुए पाठ्यक्रम पर रोक लगा दी।

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भारतीय वन्यजीव संस्थान की उत्तराखंड के किसी भी विश्वविद्यालय से संबंद्धता नहीं है। लिहाजा अस्थाई तौर पर पाठ्यक्रम बंद कर दिया गया है। जहां तक पीएचडी का सवाल है तो एफआरआई डीम्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी की डिग्री दी जा रही है, लेकिन एमएससी वर्ल्ड लाइफ साइंस का पाठ्यक्रम बंद कर दिया गया है। राज्य के विश्वविद्यालयों से संबद्धता के लिए प्रयास जारी हैं।

– डॉ. धनंजय मोहन, निदेशक, भारतीय वन्यजीव संस्थान