सार
सोशल मीडिया पर हिंदी के सफर और असर के बारे में जानने के लिए अमर उजाला की ओर से सोशल मीडिया पर सक्रिय शहर के युवाओं से चांदपुर स्थित कार्यालय में संवाद किया गया। इस दौरान संवाद में यह बात सामने आई कि हिंदी हिंद के माथे की खूबसूरत बिंदी है।
अमर उजाला संवाद में सोशल मीडिया पर सक्रिय युवा
– फोटो : अमर उजाला
सोशल मीडिया अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम बनता जा रहा है। हिंदी ने अभिव्यक्ति के माध्यम को नया कलेवर दिया है। सोशल मीडिया पर सक्रिय लोग अब हिंदी का प्रयोग न केवल खुलकर बल्कि गर्व के साथ करते हैं। हिंदी का प्रयोग हिंदी प्रेमियों की प्राथमिकता है। अब सोशल मीडिया पर भीड़ से अलग दिखने का बेहद आकर्षक तरीका हिंदी साबित हो रही है।
सोशल मीडिया पर सक्रिय युवा भी इस बात को समझते हैं और खुद को हिंदी के हिसाब से ढाल रहे हैं। सोशल मीडिया पर हिंदी के सफर और असर के बारे में जानने के लिए अमर उजाला की ओर से सोशल मीडिया पर सक्रिय शहर के युवाओं से चांदपुर स्थित अमर उजाला कार्यालय में बृहस्पतिवार को संवाद किया गया।

इस दौरान संवाद में यह बात सामने आई कि हिंदी हिंद के माथे की खूबसूरत बिंदी है जो दुनिया को एकसूत्र में पिरो रही है। हिंदी के इस्तेमाल से युवा सोशल मीडिया पर दुनिया को नित नवीन होती काशी का साक्षात्कार भी करा रहे हैं।
यू-ट्यूब पर जब मैंने दो साल पहले आयुषवाणी चैनल की शुरुआत की थी तो थोड़ी सी हिचक थी। समय के साथ लोगों की सकारात्मक प्रतिक्रिया ने मेरा हौसला बढ़ाया। मेडिकल से जुड़े छात्रों ने कई बार कहा कि अंग्रेजी में भी वीडियो बनाएं लेकिन मैंने इसको सिरे से खारिज कर दिया। हिंदी में वह क्षमता है कि वैश्विक भाषा बन सकती है। – प्रो. अजय कुमार, आयुषवाणी
अनकहे पहलुओं से करा रहे हैं रूबरू
हिंदी वह माध्यम है, जिसको पढ़ा-लिखा तो समझता ही है, अनपढ़ भी आसानी से समझ सकता है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर यूट्यूब और डाक्युमेंट्री के जरिए लोगों को बनारस के अनकहे पहलुओं से रूबरू कराने का प्रयास जारी है। कुछ बदलाव लाने की मंशा से सोशल मीडिया पर शुरुआत की थी और आज लोग उसकी प्रशंसा करते हैं। – अदनान अहमद खान, डॉक क्रिएशन
सोशल मीडिया के मंच को हिंदी ने किया परिवर्तित
सोशल मीडिया के मंच पर कहे-अनकहे और अनछुए पहलुओं को रखने का सशक्त माध्यम है। जब बात हिंदी में कही जाती है तो लोग समझते भी हैं और उसको पसंद भी करते हैं। हिंदी भाषी क्षेत्र में अलग पहचान बनाने के साथ ही हिंदी में काम करने पर गर्व की अनुभूति होती है जिसको शब्दों में बयां करना नामुमकिन है। – प्रतीक गुप्ता, यूट्यूबर
हिंदी बरबस ही हर हिंदी भाषी को अपनी तरफ खींचती है। हिंदी को ऐसे ही मातृ भाषा नहीं कहा जाता है। ऐसा आकर्षण आपको किसी अन्य भाषा में महसूस नहीं होगा। सोशल मीडिया पर हिंदी भाषा की अहमियत और ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हर सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर हिंदी मौजूद है। -शिवम गुप्ता, गंगा सेवा निधि
हिंदी एक दूसरे को जोड़ने का माध्यम
हिंदी एक दूसरे को जोड़ने के साथ ही हर हिंदी भाषी से एक अनकहा से रिश्ता भी बना देती है। कोरोना काल में इसको हमने शिद्दत से महसूस किया। शायद यह हिंदी का ही प्रभाव था कि जर्मनी में रहने वाले हिंदी भाषी परिवार ने बनारस में अपने परिवार के लोगों के स्वास्थ्य की जानकारी साझा की। दुनिया भर को बनारस से रूबरू कराने का सशक्त माध्यम हिंदी ही बनी है। – आकर्ष मिश्रा, बनारस द ओल्ड सिटी
सोशल मीडिया पर हिंदी ने दी नई पहचान
चार साल पहले इंस्टाग्राम पर जब बनारसी भुक्कड़ पेज शुरू किया था तो उम्मीद नहीं थी कि इतनी प्रतिक्रिया मिलेगी। इसमें हिंदी का तो सबसे बड़ा योगदान है। विविधताओं से भरे बनारस के स्वाद में भी इतनी विविधताएं हैं कि लोग इसके जादू से बच नहीं सकते हैं। हिंदी के जरिए यह आज देश ही नहीं सात समंदर पार तक अपनी पहचान बना चुका है। – श्वेताभ यादव, बनारसी भुक्कड़
हिंदी और बनारसी बोली ने तो कर दिया कमाल
वाराणसी ब्लाग्स की शुरुआत तस्वीरों के साथ हुई लेकिन हिंदी और बनारसी बोली में लिखे गए चित्र परिचय ने तो उसमें जान डाल दी। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि हिंदी का कोई जवाब नहीं है। यह हम सभी के लिए गर्व की बात है कि हिंदी आज विश्व भर में अपनी एक अलग पहचान बना चुकी है। सोशल मीडिया को हिंदी ने एक नया स्वरूप दिया है। – शुभम ठाकुर, वाराणसी ब्लॉग्स
बनारस में जब आप काम करते हैं तो हिंदी और सबसे पहले बनारसी बोली आपकी जबान पर होनी चाहिए। सात वार नौ त्योहार की नगरी काशी हर रोज नित नवीन अध्याय लिख रही है। दक्षिण भारत में जन्म होने के कारण हिंदी में खुद को ढालना आसान नहीं था। जब बनारस में रहना शुरू किया तो अब पूरी तरह हिंदी और बनारस का ही होकर रह गया। – अभिनव चित्रांश, फोटोग्राफर
विस्तार
सोशल मीडिया अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम बनता जा रहा है। हिंदी ने अभिव्यक्ति के माध्यम को नया कलेवर दिया है। सोशल मीडिया पर सक्रिय लोग अब हिंदी का प्रयोग न केवल खुलकर बल्कि गर्व के साथ करते हैं। हिंदी का प्रयोग हिंदी प्रेमियों की प्राथमिकता है। अब सोशल मीडिया पर भीड़ से अलग दिखने का बेहद आकर्षक तरीका हिंदी साबित हो रही है।
सोशल मीडिया पर सक्रिय युवा भी इस बात को समझते हैं और खुद को हिंदी के हिसाब से ढाल रहे हैं। सोशल मीडिया पर हिंदी के सफर और असर के बारे में जानने के लिए अमर उजाला की ओर से सोशल मीडिया पर सक्रिय शहर के युवाओं से चांदपुर स्थित अमर उजाला कार्यालय में बृहस्पतिवार को संवाद किया गया।

इस दौरान संवाद में यह बात सामने आई कि हिंदी हिंद के माथे की खूबसूरत बिंदी है जो दुनिया को एकसूत्र में पिरो रही है। हिंदी के इस्तेमाल से युवा सोशल मीडिया पर दुनिया को नित नवीन होती काशी का साक्षात्कार भी करा रहे हैं।
हिचक के साथ शुरू हुई थी आयुषवाणी की यात्रा
यू-ट्यूब पर जब मैंने दो साल पहले आयुषवाणी चैनल की शुरुआत की थी तो थोड़ी सी हिचक थी। समय के साथ लोगों की सकारात्मक प्रतिक्रिया ने मेरा हौसला बढ़ाया। मेडिकल से जुड़े छात्रों ने कई बार कहा कि अंग्रेजी में भी वीडियो बनाएं लेकिन मैंने इसको सिरे से खारिज कर दिया। हिंदी में वह क्षमता है कि वैश्विक भाषा बन सकती है। – प्रो. अजय कुमार, आयुषवाणी
अनकहे पहलुओं से करा रहे हैं रूबरू
हिंदी वह माध्यम है, जिसको पढ़ा-लिखा तो समझता ही है, अनपढ़ भी आसानी से समझ सकता है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर यूट्यूब और डाक्युमेंट्री के जरिए लोगों को बनारस के अनकहे पहलुओं से रूबरू कराने का प्रयास जारी है। कुछ बदलाव लाने की मंशा से सोशल मीडिया पर शुरुआत की थी और आज लोग उसकी प्रशंसा करते हैं। – अदनान अहमद खान, डॉक क्रिएशन
सोशल मीडिया के मंच को हिंदी ने किया परिवर्तित
सोशल मीडिया के मंच पर कहे-अनकहे और अनछुए पहलुओं को रखने का सशक्त माध्यम है। जब बात हिंदी में कही जाती है तो लोग समझते भी हैं और उसको पसंद भी करते हैं। हिंदी भाषी क्षेत्र में अलग पहचान बनाने के साथ ही हिंदी में काम करने पर गर्व की अनुभूति होती है जिसको शब्दों में बयां करना नामुमकिन है। – प्रतीक गुप्ता, यूट्यूबर
बरबस ही अपनी तरफ खींचती है सोशल मीडिया पर हिंदी
हिंदी बरबस ही हर हिंदी भाषी को अपनी तरफ खींचती है। हिंदी को ऐसे ही मातृ भाषा नहीं कहा जाता है। ऐसा आकर्षण आपको किसी अन्य भाषा में महसूस नहीं होगा। सोशल मीडिया पर हिंदी भाषा की अहमियत और ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हर सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर हिंदी मौजूद है। -शिवम गुप्ता, गंगा सेवा निधि
हिंदी एक दूसरे को जोड़ने का माध्यम
हिंदी एक दूसरे को जोड़ने के साथ ही हर हिंदी भाषी से एक अनकहा से रिश्ता भी बना देती है। कोरोना काल में इसको हमने शिद्दत से महसूस किया। शायद यह हिंदी का ही प्रभाव था कि जर्मनी में रहने वाले हिंदी भाषी परिवार ने बनारस में अपने परिवार के लोगों के स्वास्थ्य की जानकारी साझा की। दुनिया भर को बनारस से रूबरू कराने का सशक्त माध्यम हिंदी ही बनी है। – आकर्ष मिश्रा, बनारस द ओल्ड सिटी
सोशल मीडिया पर हिंदी ने दी नई पहचान
चार साल पहले इंस्टाग्राम पर जब बनारसी भुक्कड़ पेज शुरू किया था तो उम्मीद नहीं थी कि इतनी प्रतिक्रिया मिलेगी। इसमें हिंदी का तो सबसे बड़ा योगदान है। विविधताओं से भरे बनारस के स्वाद में भी इतनी विविधताएं हैं कि लोग इसके जादू से बच नहीं सकते हैं। हिंदी के जरिए यह आज देश ही नहीं सात समंदर पार तक अपनी पहचान बना चुका है। – श्वेताभ यादव, बनारसी भुक्कड़
हिंदी और बनारसी बोली ने तो कर दिया कमाल
वाराणसी ब्लाग्स की शुरुआत तस्वीरों के साथ हुई लेकिन हिंदी और बनारसी बोली में लिखे गए चित्र परिचय ने तो उसमें जान डाल दी। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि हिंदी का कोई जवाब नहीं है। यह हम सभी के लिए गर्व की बात है कि हिंदी आज विश्व भर में अपनी एक अलग पहचान बना चुकी है। सोशल मीडिया को हिंदी ने एक नया स्वरूप दिया है। – शुभम ठाकुर, वाराणसी ब्लॉग्स
बनारसी बोली का दुनिया में नहीं है कोई जोड़
बनारस में जब आप काम करते हैं तो हिंदी और सबसे पहले बनारसी बोली आपकी जबान पर होनी चाहिए। सात वार नौ त्योहार की नगरी काशी हर रोज नित नवीन अध्याय लिख रही है। दक्षिण भारत में जन्म होने के कारण हिंदी में खुद को ढालना आसान नहीं था। जब बनारस में रहना शुरू किया तो अब पूरी तरह हिंदी और बनारस का ही होकर रह गया। – अभिनव चित्रांश, फोटोग्राफर
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हिचक के साथ शुरू हुई थी आयुषवाणी की यात्रा