After Evergrande crisis China faces another economic shock Electricity crunch – Business News India

चीन की दिग्गज रियल एस्टेट कंपनी एवरग्रांड के दिवालिया होने की आशंका से दुनिया अभी सहमी हुई है। वहीं, अब चीन में बिजली संकट ने भी नई टेंशन दे दी है। हालात ये हो गए हैं कि कई कंपनियों में प्रोडक्शन बंद हो चुका है। वहीं, कई कंपनियों को बिजली के बैकअप का इस्तेमाल करने में ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है। 

बढ़ सकता है संकट: इस बिगड़े हालात में वैश्विक ग्राहकों को क्रिसमस से पहले स्मार्टफोन और अन्य चीजों की आपूर्ति की कमी झेलनी पड़ सकती है। कई कंपनियों का कहना है कि इस हालात में उत्पादन से लेकर आपूर्ती तक प्रभावित हो रहा है। जाहिर सी बात है कि कंपनियां समय पर ऑर्डर तैयार नहीं कर पाएंगी जिससे वित्तीय नुकसान झेलना पड़ सकता है। अगर ऐसा होता है तो बड़े पैमाने पर छंटनी भी हो सकती है।  

आपको बता दें कि उत्पादक पहले से ही प्रोसेसर चिप की कमी और कोरोना वायरस जनित महामारी के कारण लागू यात्रा और परिवहन संबंधी प्रतिबंधों से उपजी परेशानियों से जूझ रहे हैं। ये सबकुछ ऐसे समय में हो रहा है जब वैश्विक वित्तीय बाजार पहले से ही चीन की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी एवरग्रांड समूह के धराशायी होने से चिंतित हैं जो अरबों डॉलर के बोझ तले दबी है। 

बिजली बचत कर रहा चीन: चीन में इस संकट की वजह बिजली बचत की योजना है। सरकार बिजली बचत पर जोर दे रही है। सत्तारूढ़ दल फरवरी में बीजिंग और शिजियाझुआंग में विंटर ओलंपिक का आयोजन कराने की तैयारी भी कर रहा है और इसके लिए सरकार चाहती है कि वातावरण में प्रदूषण न हो। 

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हालांकि, इस वजह से आम लोगों से लेकर कारोबारियों तक को नुकसान उठाना पड़ रहा है। नोमुरा के अर्थशास्त्री तिंग लू, लीशेंग वांग और जिंग वांग के मुताबिक, “ऊर्जा की बचत करने के बीजिंग के संकल्प से दीर्घकालिक फायदा हो सकता है लेकिन कम अवधि में इसकी ज्यादा कीमत चुकानी होगी।” ये अनुमान है कि जीडीपी ग्रोथ सुस्त पड़ जाए।