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डोईवाला। स्वामीराम हिमालयन विश्वविद्यालय जौलीग्रांट की प्रायोजित संस्था हिमालयन इंस्टीट्यूट ट्रस्ट की ओर से जल जीवन के तहत 31 पब्लिक हेल्थ इंजीनियर को प्रशिक्षित किया जा रहा है। जल जीवन मिशन के तहत उत्तराखंड में पहली बार आवासीय प्रशिक्षण आयोजित किया जा रहा है।
कुलपति डॉ. विजय धस्माना ने बताया कि केंद्र सरकार के जल शक्ति मंत्रालय ने एचआईएचटी को राष्ट्रीय जलजीवन मिशन के हर घर जल योजना के सेक्टर पार्टनर और के आरसी के तौर पर नामित किया है। यह एक दिन या महीने भर की मेहनत का नतीजा नहीं है, बल्कि सालों से जल संरक्षण के क्षेत्र में एचआईएचटी टीम के द्वारा किए गए बेहतरीन प्रयास सफलता है। डॉ. धस्माना ने बताया कि एसआरएचयू का जल आपूर्ति और सरंक्षण के लिए भागीरथी प्रयास जारी है। विश्वविद्यालय के कैंपस में रोजाना सात लाख लीटर पानी रिसाइकल कर सिंचाई के लिए इस्तेेमाल किया जाता है। संस्था विवि के बाहर से भी उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के 550 गांवों में स्वच्छ पेयजल और स्वच्छता योजनाओं को निर्माण करवाया गया है। सात हजार लीटर क्षमता के लिए 600 से अधिक संरक्षण टैंकों और 71 गांवों में जल संवर्द्धन का कार्य करवाया गया है। बताया गया कि एसआरएचयू कैंपस में 1.25 करोड़ की लागत से सीवेज ट्रीटमेंट लगाया गया है। एचआईएचटी में वाटर एंड सेनिटेशन विभाग के इंचार्ज नितेश कौशिक ने बताया कि केआरसी यानी की रिसोर्स सेंटर के रूप में एचआईएचटी में उत्तराखंड लेवल -2 का पहला प्रशिक्षण है। जिसमें जल संस्थान और पेयजल निगम के 31 पब्लिक हेल्थ इंजीनियरों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिसका समापन आठ अक्तूबर को किया जाएगा। एचपी उनियाल, डॉ. एलएन ठकुराल, प्रो. सुमित सेन, एसटीएस लेप्चा, एसके गुप्ता, वीके सिंन्हा और डॉ. राजीव बिज्लवाण आदि प्रशिक्षण दे रहे हैं।
डोईवाला। स्वामीराम हिमालयन विश्वविद्यालय जौलीग्रांट की प्रायोजित संस्था हिमालयन इंस्टीट्यूट ट्रस्ट की ओर से जल जीवन के तहत 31 पब्लिक हेल्थ इंजीनियर को प्रशिक्षित किया जा रहा है। जल जीवन मिशन के तहत उत्तराखंड में पहली बार आवासीय प्रशिक्षण आयोजित किया जा रहा है।
कुलपति डॉ. विजय धस्माना ने बताया कि केंद्र सरकार के जल शक्ति मंत्रालय ने एचआईएचटी को राष्ट्रीय जलजीवन मिशन के हर घर जल योजना के सेक्टर पार्टनर और के आरसी के तौर पर नामित किया है। यह एक दिन या महीने भर की मेहनत का नतीजा नहीं है, बल्कि सालों से जल संरक्षण के क्षेत्र में एचआईएचटी टीम के द्वारा किए गए बेहतरीन प्रयास सफलता है। डॉ. धस्माना ने बताया कि एसआरएचयू का जल आपूर्ति और सरंक्षण के लिए भागीरथी प्रयास जारी है। विश्वविद्यालय के कैंपस में रोजाना सात लाख लीटर पानी रिसाइकल कर सिंचाई के लिए इस्तेेमाल किया जाता है। संस्था विवि के बाहर से भी उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के 550 गांवों में स्वच्छ पेयजल और स्वच्छता योजनाओं को निर्माण करवाया गया है। सात हजार लीटर क्षमता के लिए 600 से अधिक संरक्षण टैंकों और 71 गांवों में जल संवर्द्धन का कार्य करवाया गया है। बताया गया कि एसआरएचयू कैंपस में 1.25 करोड़ की लागत से सीवेज ट्रीटमेंट लगाया गया है। एचआईएचटी में वाटर एंड सेनिटेशन विभाग के इंचार्ज नितेश कौशिक ने बताया कि केआरसी यानी की रिसोर्स सेंटर के रूप में एचआईएचटी में उत्तराखंड लेवल -2 का पहला प्रशिक्षण है। जिसमें जल संस्थान और पेयजल निगम के 31 पब्लिक हेल्थ इंजीनियरों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिसका समापन आठ अक्तूबर को किया जाएगा। एचपी उनियाल, डॉ. एलएन ठकुराल, प्रो. सुमित सेन, एसटीएस लेप्चा, एसके गुप्ता, वीके सिंन्हा और डॉ. राजीव बिज्लवाण आदि प्रशिक्षण दे रहे हैं।