एक नाले के किनारे परेशान हालत में बैठे लोगों की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. इसमें महिला, पुरुषों के अलावा कुछ बच्चे भी हैं. दावा किया जा रहा है कि ये तस्वीर असम में घुस आए अवैध प्रवासियों की है.
भाजपा नेता और उत्तर दिल्ली नगर निगम के पूर्व मेयर रविंदर गुप्ता ने इस तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा, “देश के लोगों को जो नौकरियां चाहिए वो घुसपैठिये ले जाते, अनाज वह भी उनको मिलता है जो देश की सुरक्षा को तोड़ने का काम करते हैं. भाजपा की सरकार देश को घुसपैठियों से मुक्त करने की दिशा में आगे बढ़ रही है, कांग्रेस पार्टी हमें रोक नहीं सकती.”
इस पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीर भारत की नहीं, म्यांमार की है. इसमें दिख रहे लोग रोहिंग्या शरणार्थी हैं जो 2017 में म्यांमार की सेना की तरफ से कथित तौर पर गोलीबारी किए जाने और बस्ती उजाड़े जाने के बाद भागने पर विवश हो गए थे.
इस फोटो को बहुत सारे लोग ‘#घुसपैठियों_से_असम_मुक्त_हो’ हैशटैग के साथ शेयर कर रहे हैं. खबर लिखे जाने के वक्त ये हैशटैग करीब 70 हजार ट्वीट्स के साथ तीसरे नंबर पर ट्रेंड कर रहा था.
क्या है सच्चाई
वायरल फोटो को रिवर्स सर्च करने पर हमने पाया कि 26 जनवरी 2020 को यही फोटो पाकिस्तानी न्यूज वेबसाइट ‘डॉन’ की एक रिपोर्ट में छपी थी. यहां तस्वीर के साथ लिखे कैप्शन में बताया गया है कि 2017 में म्यांमार की सेना की तरफ से किए गए हमले के बाद 7.3 लाख से भी ज्यादा रोहिंग्या मुसलमान रखाइन प्रांत से भागने पर मजबूर हो गए थे.
‘डेलीमेल’ और ‘पोस्ट टुडे’ की रिपोर्ट में भी इस फोटो को म्यांमार का ही बताया गया है.
ये बात सच है कि असम में अवैध प्रवासियों की एक बड़ी संख्या है. लेकिन सोशल मीडिया पर जो तस्वीर वायरल हो रही है, वो म्यांमार की है.