जागरण टीम, फिरोजाबाद: राशनकार्ड में यूनिट बढ़ाकर किए जा रहे घोटाले की हकीकत जानने के लिए ‘जागरण टीम’ राशन कार्डधारकों के पास पहुंची। शिकोहाबाद तहसील मुख्यालय से लगभग छह किमी दूर आमरी गांव में हकीकत सुन कार्डधारक चौंक गए। एक परिवार की मधु बोलीं, परिवार में मैं, पति और तीन बेटियां, ये सोनम कौर कौन है?
दरअसल, इनके राशनकार्ड में सोनम कौर को बेटी दर्शाया गया है। मधु ने बताया कि परिवार में पति ब्रजेश, बेटी वर्षा, सुहाना और शीलू हैं। जब उन्हें पूर्ति विभाग की वेबसाइट पर उनके परिवार की आठ यूनिट दर्ज की जानकारी दी गई। मधु कहने लगी कि सोनम कौर को तो वो जानती ही नहीं। एक और सदस्य सीमा और शांति देवी नाम की महिला भी उनके परिवार में कोई नहीं है। मधु ने बताया कि हमारी पांच यूनिट हैं, लेकिन कोटेदार के यहां से नौ किलो गेहूं और छह किलो चावल ही मिलता है। कोटेदार सीधे बात भी नहीं करता और न कोई पर्ची देता है।
आमरी गांव में ही जागरण ने एक और कार्ड की पड़ताल की। घर में मिलीं गुड्डी देवी ने बताया कि सुभाष सिंह उनका भाई है। उनके परिवार में चार सदस्य हैं। राशनकार्ड में यूनिट के रूप में दर्ज राघवेंद्र प्रताप सिंह के अलावा कार्ड धारक दर्शाई गई शशि और सोनू बाबू कौन हैं, वो जानती तक नहीं। उनका भाई परिवार के साथ एक साल से मुंबई में रह रहा है।
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खिलाड़ी हैं कोटेदार, पूर्ति विभाग की शह
जागरण की पड़ताल में सामने आया कि राशन कार्ड में यूनिट(परिवार के सदस्य) बढ़ाकर घोटाले के सबसे बड़े खिलाड़ी कोटेदार हैं। नियम के अनुसार, कार्डधारक परिवार का कोई भी सदस्य राशन लेने जाता है तो ई-पास(इलेक्ट्रानिक प्वाइंट आफ सेल) मशीन पर सदस्य का अंगूठा लगता है। आधार कार्ड से अंगूठे का प्रिट मैच होने पर मशीन से पर्ची निकलती है, जिस पर यूनिट के हिसाब से खाद्यान्न का वजन और भुगतान की जाने वाली धनराशि लिखी होती है। नियमानुसार, राशन देते समय क्रास करके ये पर्ची कार्डधारक को दी जाती है। कोटेदार कार्डधारक को पर्ची ही नहीं देते। इससे कार्डधारक को पता ही नहीं चलता कि उसके कार्ड पर कितना खाद्यान्न मिलना था। पूर्ति विभाग का इन कोटेदारों को पूरा प्रश्रय रहता है।
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ये हैं जिम्मेदार
-राशन कोटेदार: कोटेदार को कार्डधारकों की पूरी जानकारी होती है। आठ यूनिट होने पर चार यूनिट का खाद्यान्न कोटेदार ही देते हैं। इसलिए गड़बड़ी के लिए ये सीधे जिम्मेदार हैं।
-पूर्ति निरीक्षक: किसी भी कार्ड में यूनिट बढ़ाने का अधिकार पूर्ति निरीक्षक के पास होता है। उनके डिजिटल हस्ताक्षर के बाद ही नाम (यूनिट) काटा या बढ़ाया जाता है। राशन की दुकान के निरीक्षण की जिम्मेदारी भी इनके पास है। जिला पूर्ति अधिकारी (डीएसओ): जिले में विभाग का मुखिया होने के कारण राशन में सेंधमारी रोकना डीएसओ की भी जिम्मेदारी है। राशन वितरण की रेंडम जांच की जिम्मेदारी भी है।
-नोडल अधिकारी: राशन का वितरण ठीक से हो इसके लिए डीएम द्वारा हर महीने दुकानवार नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाते हैं। इन्हें भी ये देखना चाहिए कि कार्डधारकों को ई-पास मशीन से निकलने वाली पर्ची दी जा रही है या नहीं। नोडल अधिकारी बदलते रहते हैं।
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अभी इस तरह की जानकारी नहीं आई है। पूर्व में दो मामले संज्ञान में आए थे, जिन पर कार्रवाई की गई थी। यदि कोई मामला आता है तो संबंधित कोटेदार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।’
-जाकिर हुसैन, डीएसओ
ये है स्थिति
4,51,585: जिले में राशन कार्डधारक
1,46,191: नगर क्षेत्र में राशन कार्डधारक
3,053,94: ग्रामीण क्षेत्र में राशन कार्डधारक
6,47,878:शहरी क्षेत्र में राशन कार्ड की यूनिट
12,51,021:ग्रामीण क्षेत्र के राशन कार्ड की यूनिट
800: जिले में राशन की दुकानें
Edited By: Jagran