‘कॉलेजों में ‘बैक डोर एंट्री’ कल्चर पर लगाई जाए रोक’, दिल्ली HC ने कहा- यह मेधावी छात्रों का अपमान | Delhi high court slams culture of backdoor entry says it insults meritorious students

दिल्ली हाई कोर्ट ने आज चांदनी चौक में रेहड़ी पटरी बिक्री मुक्त इलाकों में फेरीवालों की मौजूदगी पर पुलिस और NRDMC से जवाब मांगा.

हाई कोर्ट ने कहा कि सभी सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए काउंसलिंग सुप्रीम कोर्ट ने आदेश के मुताबिक नीट परीक्षा (NEET Exam) के रिजल्ट के आधार पर की जाती है.

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  • Publish Date – 9:49 pm, Sun, 19 September 21Edited By: श्वेता गुप्ता
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दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi HC) ने कहा है कि शैक्षणिक संस्थानों में बैक डोर एंट्री बंद होनी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि सभी स्टूडेंट्स कॉलेज में एडमिशन के लिए बहुत मेहनत करते हैं. बैक डोर एंट्री (Back Door Entry)  उन योग्य स्टूडेंट्स का अपमान है जो एडमिशन के लिए कड़ी मेहनत करते हैं. हाई कोर्ट ने कहा कि इस प्रथा को रोकने की जरूरत है. कोर्ट ने कहा कि अब समय आ गया है कि मेडिकल कॉलेजों (Medical College) समेत दूसरे शिक्षण संस्थानों में बैकडोर एंट्री पर रोक लगाई जाए.

जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस जसमीत सिंह की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि देश भर में लाखों छात्र अपनी और कड़ी मेहनत (Merit Student) करते हैं. हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए भोपाल के पांच छात्रों की याचिका को खारिज कर दिया. सभी को बिना डीएमई द्वारा आयोजित केंद्रीकृत काउंसिल में शामिल हुए बिना 2016 में LN मेडिकल कॉलेज और रिसर्च सेंटर भोपाल में एडमिशन मिला था.

HC ने खारिज की पांच स्टूडेंट्स की याचिका

कोर्ट ने कहा कि सभी सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए काउंसलिंग सुप्रीम कोर्ट ने आदेश के मुताबिक नीट परीक्षा के रिजल्ट के आधार पर की जाती है. हाई कोर्ट ने कहा कि एमसीआई ने पांचों स्टूडेंट्स के एडमिशन रद्द करने के लिए अप्रैल 2017 में लेटर ऑफ डिस्चार्ज जारी किए थे. लेकिन उस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. छात्रों का एडमिशन रद्द नहीं किया गया. कॉलेज के स्टूडेंट की तरह उन्हें एग्जाम में बैठने और आगे बढ़ने की अनुमति दी गई.

‘बैक डोर एंट्री कल्चर पर रोक लगाने का समय’

बता दें कि पांचों स्टूडेंट्स ने एमसीआई द्वारा जारी डिस्टार्ज लैटर को रद्द करने के लिए कोर्ट में याचिता दायर की थी. जिसमें उन्होंने कोर्ट से मेडिकल क़लेज के रेगुलर स्टूडेंट्स के रूप में पढ़ाई जारी रखने की मांग की थी. लेकिन हाी कोर्ट की सिंगल बेंच ने इस याचिका को खारिज कर दिया. इसके साथ ही सख्त टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि अब समय आ गया है कि बैक डोर एंट्री को बैन किया जाए. जो छात्र एडमिशन के लिए कड़ी मेहनत करते हैं इस तरह के प्रवेश से उनका अपमान होता है.

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